आज जब महाराष्ट्र में पाला बदलने की बात हो रही थी तब एक नेता ने कहा \”वो कल नज़र मिला के बात नहीं कर रहे थे\”। तो ये सदाबहार देव आनंद साहब का गाना उन्हीं आंखों के नाम। वैसे इस फ़िल्म के सभी गाने कमाल के थे और पिताजी के मुताबिक इस फ़िल्म के बाद भुट्टे खाने का चलन बढ़ गया था। किशोर कुमार और लताजी की आवाज़ में मजरूह सुल्तानपुरी साहब के बोल और संगीत सचिन देव बर्मन जी का।
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
अगर इसे समझ सको,
मुझे भी समझाना
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
जवाब सा किसी तमन्ना का
लिखा तो है मगर अधूरा सा
अरे ओ
जवाब सा किसी तमन्ना का
लिखा तो है मगर अधूरा सा
हो,
कैसी न हो मेरी हर बात अधूरी
अभी हूँ आधा दिवाना
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
अगर इसे समझ सको,
मुझे भी समझाना
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
जो कुछ नहीं तो ये इशारे क्यों
ठहर गए मेरे सहारे क्यों
अरे ओ
जो कुछ नहीं तो ये इशारे क्यों
ठहर गए मेरे सहारे क्यों
हो, थोड़ा सा हसीनों का सहारा लेके चलना
है मेरी आदत रोज़ाना
लिखा है तेरी आँखों में,
किसका अफ़साना
अगर इसे समझ सको, मुझे भी समझाना
लिखा है…