फ़िल्म \’लक्ष्य\’ के इस गीत में गीतकार जावेद अख़्तर साहब ज़िन्दगी का एक बहुत बड़ा फ़लसफ़ा देते हैं। फ़िल्म के हीरो ऋतिक रोशन प्रीति जिंटा से अपने प्यार का इज़हार कर रहे हैं और वो कुछ और ज़्यादा रोमांटिक अंदाज़ की उम्मीद कर रही थीं। जावेद साहब ने इस बात को कुछ इस अंदाज़ में लिखा है \”इस बात को अगर तुम ज़रा और सजा के कहते, ज़रा घुमा फिरा के कहते तो अच्छा होता\”.
फ़िलहाल के लिये हम रोमांस को हटा देते हैं और सिर्फ कहने के अंदाज़ पर बात करते हैं। ये बात शायद नहीं यक़ीनन पहले भी कही होगी की बात करने का एक सलीका होता है, एक तहज़ीब होती है। सही मायने में ये आपकी परवरिश दिखाती है। कई बार ऐसा बोल भी देते हैं की कैसे गवारों जैसी बात कर रहे हो। मतलब सिर्फ़ इतना सा की बातें ऐसे कही जायें की किसी को तक़लीफ़ भी न हो।
मैं अपने आप को अक्सर ऐसी स्थिति में पाता हूँ जब कोई मुझसे अपने लिखे के बारे में पूछने आता है। ऐसी ही स्थिति मैं उन लोगों की भी समझ सकता हूँ जो कभी मेरा लेख पढ़ते हैं लेक़िन टिप्पणी करने से कतराते हैं। कुछ करते हैं लेक़िन सब मीठा मीठा। कुछ बोलने की हिम्मत करते हैं – लेकिन थोड़ा घुमा फिरा कर। मुझे उसमे से समझना होती है वो बात जो कही तो नही गयी लेकिन मुझ तक पहुंचाने की कोशिश करी गयी।
कई बार इसी उधेड़बुन में दिन हफ़्ते बन जाते हैं। लेक़िन अब जो लिखना शुरू किया है तक सब साफ़ है। इसलिये तो बिना किसी लागलपेट के कह रहा हूँ लोगों की सुनना छोड़ें। अपने मन की सुनें और करें। अंत में कम से कम और कोई नहीं तो आप तो खुश रहेंगे। जो आपकी खुशी में शरीक़ होना चाहेँगे वो होंगे और जो नहीं होंगे वो वैसे भी कहाँ ख़ुश थे।
आनंद उठायें इस मधुर गीत का।