फ़िल्मी संगीत में रमे हमारे परिवार में बहुत कम शास्त्रीय संगीत सुनने को मिला। लेक़िन बाद में ऊपर वाले की मेहरबानी से हमारी हर सुबह शास्त्रीय संगीत से होने लगी। यहाँ ऊपरवाले से मेरा मतलब भगवान से नहीं लेकिन उन्हीं के द्वारा मिलवाये गये हमारे सरकारी मकान में ऊपर वाले घर में रहने वाले सज्जनलाल भट्ट जी का जो की पास ही के सरकारी कॉलेज में शास्त्रीय संगीत के प्रोफ़ेसर थे।
अगर भट्ट अंकल शहर में हैं तो सुबह सुबह उनका रियाज़ शुरू हो जाता। वो गला साफ़ करने के लिये आलाप लगाते और वो हमारे उठने का समय। उसके बाद शास्त्रीय संगीत आया आल इंडिया रेडियो या विविध भारती के सौजन्य से। सुबह संगीत सरिता कार्यक्रम में कोई एक राग और उसके बारे में ज्ञान।
लेकिन हमने कभी भट्ट अंकल के शास्त्रीय संगीत के ज्ञान का लाभ नहीं लिया। उनके पास कभी तबला सीखने गये थे लेकिन कुछ दिन बाद जोश ठंडा पड़ गया और सब धरा का धरा रह गया। दूरदर्शन पर उन दिनों संगीत का अखिल भारतीय कार्यक्रम होता था लेकिन उसको देखते नहीं थे। किसी नेता की मृत्यु पर राजकीय शोक के समय यही शास्त्रीय संगीत बजता रहता।
एक लंबे समय बाद शास्त्रीय संगीत की जीवन में वापसी हुई जब भाई ने भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर जी के गाये भजन की सीडी दी। इससे पहले लता मंगेशकर जी को जानते थे लेकिन भीमसेन जोशी जो को मिले सुर मेरा तुम्हारा की बदौलत जानते थे। लेकिन जब से वो भजन सुने जोशी जी के फैन हो गये। उनकी गायकी, उनकी आवाज़ आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। मैंने अपने इस शास्त्रीय संगीत के प्रेम को बनाये रखने के लिये कई सारे कैसेट और सीडी ख़रीदी।
लेक़िन जीवन में कभी भी ये नहीं सोचा था की साक्षात जोशी जी को सुनने को मिलेगा। मुम्बई में काम के चलते किशोरी अमोनकर जी से बात करने का, उन्हें सुनने का मौक़ा मिला। शायद दिल में कभी इच्छा रही होगी तभी तो एक दिन अचानक पीटीआई में मेरी सहयोगी निवेदिता खांडेकर जी ने बताया की उनके पास पंडितजी के एक शो के पास हैं। बस फ़िर कुछ सोचने के लिये बचता ही नहीं था। हम दोनों पहुँच गये उनके कार्यक्रम में और उनको सामने बैठकर सुना। ये जीवन में याद रखने योग्य क्षण था और इसको आज भी कई बार याद करता हूँ।
पंडितजी को आज भी सुनता हूँ और अक्सर सुबह उनके और लता जी के गाये भजनों से ही होती है। आप भी आनंद लें संगीत के दो दिग्गजों की आवाज़ का।
https://youtu.be/VF8RMZZXlWg