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रेखाओं का खेल है मुक़द्दर, रेखाओं से मात खा रहे हो

रामायण ख़त्म होने के बाद उत्तर रामायण शुरू हुआ है। जब ये पहले आया था तब पता नहीं क्यूँ, लेक़िन देखा नहीं था। शायद दोनों के बीच अंतराल था तो देखने का उत्साह ख़त्म हो गया था या उस समय इसका प्रसारण समय कुछ और रहा होगा। बहरहाल, कारण जो भी रहा हो तीस साल पहले उत्तर रामायण नहीं देखा था सो अब पूरे मग्न होकर तो नहीं लेक़िन बीच बीच के कुछ प्रसंग देखे जा रहे हैं।

पहले भी जब रामायण देखी होगी तो उसका कारण बहुत अलग रहा होगा। आज इसमें ज़्यादा ध्यान रहता है की क्या ग्रहण कर रहे हैं और शायद इसीलिये अब देखते हैं तो ध्यान देते हैं ज्ञान की बातों पर।

कल के एपिसोड में लक्ष्मण को ये जानकर बड़ा आश्चर्य होता है की उनके पिता, बड़े भाई राम और भाभी सीता को मालूम था की भविष्य में क्या होने वाला है। लेक़िन सब जानते हुये भी उन्होंने सब कुछ स्वीकार किया। ये जानते हुये भी की अगर वो चाहते तो इन सबको बदल सकते थे।

लक्ष्मण को ये बड़ा अजीब लगता है की अगर कोई भविष्य के बारे में जानता हो और तब भी कुछ न करे तो उसका क्या फायदा। राम उन्हें समझाते हैं की भविष्य के ज्ञान का कोई महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है की व्यक्ति दुःख और सुख में तटस्थ रहता है या नहीं। होनी तो होगी ही लेकिन उसका सामना प्राणी किस प्रकार करता है ये महत्वपूर्ण बात है।

राम उदाहरण देते हैं अपने पिता दशरथ का जिन्हें भविष्य में क्या होने वाला है इसका पूरा ज्ञान था। लेक़िन तब भी उन्होंने अपने वचन का पालन किया और इसके लिये उन्हें अपने प्राण त्यागना पड़ा और यही उनकी महानता थी। वर्तमान का जो धर्म है, कर्तव्य है उसे निभाओ।

इससे पूर्व लक्ष्मण आर्यसुमंत से भी ऐसा ही वार्तालाप करते हैं। जब उन्हें पता चलता है की राजा दशरथ को पता था। आर्यसुमंत उन्हें समझाते हैं कि होनी को मान लेना चाहिये लेक़िन फ़िर इससे आगे जाने का मार्ग ढूँढना चाहिये। जिन्हें पता होता है क्या होने वाला है वो इसके मार्ग में हस्तक्षेप नहीं करते।

हम में से ज़्यादातर लोग इसको जानने के लिये उत्सुक रहते हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है। लेकिन क्या किसी भी भविष्य वक्ता ने ये बताया था जो इस समय हो रहा है? मुझे तो ऐसे किसी की भविष्यवाणी पढ़ने को नहीं मिली।

मैं भी हर हफ़्ते बाकायदा अगले हफ़्ते में क्या होने वाला है, ज़रूर पढ़ता हूँ। और कुछ नहीं तो सिर्फ़ इसलिये की पढ़कर अच्छा लिखा हो तो अच्छा लगता है। लेक़िन मैंने ऐसे बहुत से लोग देखे हैं जो काल आदि देखकर अपना सारा काम करते हैं और ऐसे भी जो ये कुछ नहीं देखते और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने काम पर विश्वास रखते हैं।

दोनों में से ज़्यादा सफ़ल कौन है?

https://youtu.be/EeOeoqVF3zY

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