महिला दिवस पर एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने इस दर्दनाक घटना के बाद परिवार से मिले सहयोग और कैसे उनके माता पिता ने उनको प्रेरित किया कि वो एक आम ज़िन्दगी जी सकें इस बारे में बताया। उस समय जब लक्ष्मी अपने भविष्य के सपने बुनने में लगी हुई थीं तब किसी ने उनके इंकार का ऐसा बदला लिया। लेकिन माता पिता ने उनके साथ खड़े होकर, कंधे से कंधा मिलाकर इस लड़ाई में उनका साथ दिया।
माता-पिता की हमारे जीवन में एक खास जगह होती है। हमारे पहले शिक्षक और आगे दोस्त भी बन जाते हैं। हाँ पहले बच्चों और पिता के बीच संवाद कम होता था तो ऐसे दोस्ती नहीं हो पाती थी। लेकिन धीरे धीरे ये दूरियां भी कम हुई और अब दोनों अच्छे दोस्त बनते हैं या बनने की कोशिश करते हैं।
माता पिता किस परेशानी का सामना करते हैं अपने बच्चों को अपने से बेहतर ज़िन्दगी देने के लिए इसका एक साक्षात उदाहरण पिछले दिन देखने को मिला। एयरपोर्ट से घर जिस टैक्सी में आ रहे थे उसके ड्राइवर राजकुमार ने थोड़ी देर चलने के बाद पूछा कि अगर मैं आपको बीच में कहीं उतार दूँ तो चलेगा। टैक्सी ड्राइवर कभी ईंधन भरवाने के लिए बोलते हैं लेकिन बीच में उतारे जाने का प्रस्ताव पहली बार आया था। राजकुमार इस बीच दो तीन बार पानी पी चुके थे। बीच बीच में धीमी आवाज़ में फ़ोन पर बात भी कर रहे थे।
जब पूछा तो उन्होंने बताया उनकी चार वर्ष की बिटिया एक घंटे से नहीं मिल रही थी। जब मैंने ये सुना तो समझ नहीं आया कि उनसे क्या कहूँ। बोला तो सब ठीक होगा, कहीं खेल रही होगी। लेकिन बीते दिनों ऐसी घटनाएँ हुई हैं कि एक डर भी था। फिर भी मैंने उनसे बात करने की कोशिश जारी रखी। राजकुमार घबराये हुए थे। उनकी जगह मैं होता और अगर दूर होता तो पता नहीं कैसे बर्ताव करता। लेकिन राजकुमार की ड्राइविंग बढ़िया चलती रही।
मानखुर्द से वाशी की तरफ चलते हुए उन्होंने ये बताया था। तय हुआ मुझे वाशी उतार कर वो अपने घर चले जायेंगे। वाशी नाके के ऐन पहले फ़ोन आया और राजकुमार धीरे धीरे बात करते रहे। जब हम आगे बढ़े तो जहाँ मुझे उतारना था उस रास्ते से आगे निकल गए। मैंने उन्हें बोला तो उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा ही मेरा जवाब था। बिटिया मिल गयी है। कहीं खेल रही थी। सब ठीक है।
लक्ष्मी के शब्दों में – हमारे माता पिता का जीवन ही हम सबके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। बशर्ते हम उसके बारे में जाने और उनसे सीखें। राजकुमार की बिटिया की तरह शायद हम भी कितनी ही रातों या दिनों के बारे में अनजान रहते हैं जब घरवालों पर हमारी हरकतों के चलते पता नहीं क्या बीतती है। पूछेंगे तो पता चलेगा।