वॉर बहुत समय बाद आई एक एक्शन फिल्म है जिसे आप जेम्स बॉन्ड, मिशन इम्पॉसिबल, फेस ऑफ और बॉर्न सिरीज़ का मिश्रण कह सकते हैं। ये सिर्फ फ़िल्म के एक्शन के बारे में ही सही है। लेकिन क्या सिर्फ एक्शन के भरोसे फ़िल्म चल सकती है?
हमारी हिंदी फिल्मों में एक्शन फिल्मों की एक अलग जगह है। पहले की फिल्मों में एक्शन सीन बहुत ज़्यादा कमाल के तो नहीं होते थे लेकिन उनमें कहानी होती थी। मतलब ऐसा नहीं की चार सीन, दो गाने अच्छी लोकेशन ले लो और फ़िल्म बना दो। अब समय बदल गया है। दर्शकों को अच्छी एक्शन फिल्म देखने को मिल रही है तो उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं।
वॉर देखने के बाद ऐसा लगता है फिल्मों का बजट ही बढ़ा है और स्क्रिप्ट में उतनी ही गिरावट आई है। जितना पैसा यशराज फिल्म्स ने एक्शन पर खर्च किया है अगर उसका एक छोटा सा हिस्सा स्क्रिप्ट पर और काम करने के लिये खर्च किया जाता तो फ़िल्म कुछ बेहतर बन सकती थी।
कहानी: वैसे तो फ़िल्म की पूरी कहानी ट्रेलर से पता चल ही जाती है। कबीर (ऋतिक रोशन) एक सीक्रेट ऐजेंट है जो अब संस्था के विरुद्ध काम कर रहा है। उसको मारने के लिये ख़ालिद (टाइगर श्रॉफ) ज़िम्मा लेता है। पूरी फिल्म इसी चूहे-बिल्ली के खेल को लेकर है। एक सस्पेंस है जो फ़िल्म के आखिर में ही खुलता है। लेकिन तब तक आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप को बस किसी तरह से फ़िल्म के ख़त्म होने का ईन्तज़ार कर रहे हैं। इस बीच में अगर आप वाणी कपूर को याद कर रहें हो तो वो इंटरवल के बाद तीन सीन और एक गाने के लिये प्रकट होती हैं। यहाँ स्क्रिप्ट लिखने वालों का शुक्रिया क्योंकि इससे ज़्यादा तो बहुत ही भयंकर हो जाता।
संगीत: फ़िल्म में कुल जमा दो गाने हैं। अब ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ हों तो एक गाना बनता है। तो जय जय शिवशंकर उसके लिये बनाया गया है। घुंगरू टूट गये ऋतिक रोशन और वाणी कपूर के बीच रोमांस और डांस के लिये। बाकी फ़िल्म में संगीत का बहुत इस्तेमाल एक्शन सीन में हुआ है जो बहुत ही हास्यास्पद लगता है।
अदाकारी: ऋतिक रोशन को पूरी फ़िल्म में अच्छा दिखने के सिवाय कुछ नहीं करना था। अगर आप डांस हटा दें तो। टाइगर श्रॉफ के लिये भी करतब ही दिखाना था पूरी फ़िल्म में। वो चाहे उनके एक्शन सीन हों या एक गाना। कुल मिला कर दोनों के लिये कुछ नया करने को नहीं था।
चार आने की बात: क्या आपको ये फ़िल्म देखनी चाहिये? अगर आप बिना सिर पैर की फ़िल्म देखना पसंद करते हों तो उस लिस्ट में वॉर को शामिल कर सकते हैं। लेकिन अगर आप अपने चार आने सोच समझ कर खर्च करने में विश्वास रखते हैं तो इस हफ़्ते रिलीज़ हुई दूसरी फ़िल्म देख सकते हैं। फ़िल्म वाकई में है इतनी ही भयंकर।