आपकी क्या राय है? ये सवाल बड़ा मुश्किल वाला होता है। मतलब आप जो सच है वो बोल दें या उसको कुछ ओढ़ा पहना कर बोलें। अगर किसी मशीन पर ये फीडबैक दे रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन अगर सामने कोई शख्स बैठा हो तो? सब सुंदर पिचाई के बॉस के जैसे नहीं होते।
सुंदर पिचाई का जब इंटरव्यू हुआ तो उनसे नई जीमेल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बोल दिया उन्होंने इसका ज़्यादा इस्तेमाल नहीं किया है इसलिये इस बारे में वो कुछ ज़्यादा नहीं जानते। इसके बाद भी गूगल में उन्हें नौकरी मिली और आज वो गूगल के सीईओ के पद पर कार्यरत हैं और उनकी ज़िम्मेदारी और बढ़ गयी हैं।
लेकिन सबकी ऐसी किस्मत नहीं होती। जैसा मेरे साथ हुआ था जब मैं भारत में क्रिकेट की शीर्ष संस्था में गया था एक साक्षात्कार के लिये। उन्होंने मुझसे उनके द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम पर लेख लिखने को कहा। मैंने उसके बारे में बिना लाग लपेट के लिख दिया। बस उसके बाद उन्होंने कोई संपर्क नहीं किया।
कई महीनों बाद वहाँ काम करने वाले एक सज्जन मिले तो बोलने लगे भाई उन्हीं के ऑफिस में बैठ कर उनकी बुराई वहाँ लोगों को पसंद नहीं आयी। नहीं तो तुम्हे नौकरी मिल जाती।
अब देखिये राहुल बजाज को। उन्होंने अपने मन की बात कर दी और अब सब खोद खोद कर उनके ख़िलाफ़ खबर ढूंढ रहे हैं। ये अलग बात है ऐसे में हर बजाज जिसका राहुल बजाज से कोई दूर का भी कोई रिश्ता नहीं हो वो भी इसमें घसीटा जा रहा है। गनीमत है इस ब्रिगेड ने राहुल नाम को छोड़ दिया नहीं बहुत मसाला मिल जाता लेकिन किसी काम का नहीं होता।
लेकिन ये सोच और ये एप्रोच घर में आज़माने के नुकसान ही नुकसान हैं। मसलन अगर कुछ खाने में गड़बड़ हो गयी हो तो चुपचाप खा लीजिये। जब इसे बनाने वाले स्वयं खायेंगे तब उन्हें पता ही चल जायेगा की आज क्या हुआ है। आप क्यों अपने लिये मुसीबत मोल ले रहे हैं। राहुल बजाज के पीछे एक पूरी सोशल मीडिया आर्मी लगी हुई है। यहाँ सिर्फ़ एक ही शख्स काफ़ी है और आपके सारे हथियार यहाँ फेल हैं। आपके पास आत्मसमर्पण के सिवा और कोई उपाय है ही नहीं। आपको आख़िर रहना उसी घर में है। जैसा है चलने दें घर में, बाहर वालों को आइना दिखाते रहें। या अपना अंदाज़ बदल दें।
Bilkul sahi