भारत-पाकिस्तान के मैच के बाद सबसे ज़्यादा जो चर्चा में पाकिस्तान टीम की परफॉर्मेंस के अलावा कुछ है तो वो है रणवीर सिंह का परिधान जो उन्होंने उस दिन पहना था। आपने रणवीर सिंह की अजीबोगरीब कपड़ों में तस्वीरें ज़रूर देखी होंगी। उनके जैसे कपड़े पहनने के लिये बड़ी हिम्मत चाहिये। उससे भी ज़्यादा चाहिये ऐसा attitude की आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मतलब कपड़े या स्टाइल ऐसा की हम और आप पूरे जीवन ऐसे कपड़े न पहनें। ऐसा इसलिये क्योंकि हम अपना पूरा जीवन इस बात पर ही ध्यान रखते हुए बिताते हैं कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं। जो हम पहनते हैं वो इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा होता है।
ये सिर्फ परिधानों तक ही सीमित नहीं है। मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है कि मुझसे किसी मामले में राय माँगी जाती है और मैं वही बोल देता हूँ जो लोग सुनना नहीं चाहते। मतलब की बोलना हो तो उस पर कुछ मीठी वाणी का लाग लपेट कर बोला जाए। चूँकि ऐसा करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल होता है इसलिए लोग कम ही पसंद करते हैं मेरी राय।
मेरा ये मानना है कि एक बार ही सही जो सही है वो बोल दो। कम से कम सामने वाला कोई दुविधा में न रहे। ऐसा नहीं है कि मैंने हर बार यही रास्ता अपनाया है। कई बार मुझे सिर्फ आधी सच्चाई ही बतानी पड़ी और उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। उसके बाद लगता की काश पहले ही सब सही बोल दिया होता तो बात वहीं ख़त्म हो जाती।
सच कहने का साहस और सलीका – याद नहीं किस पेपर का कैंपेन है लेकिन बिल्कुल सही बात है। सच कहने के कई तरीक़े होते हैं। एक तो जैसा है वैसा बोल देना। दूसरा उसको थोड़ा मीठा लगा के बोलना। मुझे ऐसी ही एक ट्रेनिंग में भाग लेने का मौका मिला था। द आर्ट आफ गिविंग फीडबैक। इसमें हमें ये बताया कि कैसे बतायें आपकी टीम के सदस्यों को उनके काम के बारे में।
ये सिर्फ ऑफिस के लिये लागू नहीं होता। अपने परिवार वालों को हम लोग ये फीडबैक देने का काम करते ही हैं। ये एक बहुत ज़रूरी ट्रैनिंग है जो पति शादी के कुछ साल बाद सीख ही जाते हैं। लेकिन जैसा फीडबैक वो अपनी श्रीमतियों को देते हैं वैसा वो अपने कार्यक्षेत्र में नहीं करते। अब कार्यस्थल में तो उनका हुक्का पानी बंद होने से रहा। लेकिन श्रीमती जी के साथ ये जोखिम कौन मोल ले। क्या रणवीर सिंह अपनी पत्नी दीपिका को राय भी इतनी ही बेबाक तरीक़े से देते हैं?
क्या मुझमें रणवीर सिंह जैसी हिम्मत है? अगर किसी भी समारोह में कुर्ता पायजामा पहने के जाने को हिम्मत कह सकते हैं, तो हाँ। मुझमें हिम्मत है। क्या मैं अपनी राय भी उतने ही बेबाक तरीक़े से देता हूँ? ये मैं अपनी दीपिका पादुकोण से पूछ कर कल लिखूंगा।