गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने शाहरुख़ ख़ान के लिये फ़िल्म फ़िर भी दिल है हिंदुस्तानी में एक गाना गाया था I am the best और लगता है अपने ही गाये हुये इस गाने से बहुत प्रभावित हैं। वैसे अभिजीत का विवादों से पुराना रिश्ता है। अपने बड़बोलेपन के चलते वो कई बार मुश्किलों में पड़ चुके हैं। हाल ही में उन्होंने अक्षय कुमार को गरीबों का मिथुन चक्रवर्ती बताते हुये उनकी सफलता के श्रेय अपने गाये हुये फ़िल्म खिलाड़ी के गानों का दिया।
अभिजीत के अनुसार फ़िल्म खिलाड़ी में उनके गाये हुये गीत \’वादा रहा सनम\’ बाद अक्षय कुमार की किस्मत बदल गई औऱ वो गरीबों के मिथुन चक्रवर्ती से एक कामयाब नायक की श्रेणी में आ गये थे। अब्बास-मस्तान के निर्देशन में बनी फ़िल्म चली तो बहुत थी औऱ उसका संगीत भी काफ़ी हिट रहा था। लेक़िन क्या इसका श्रेय सिर्फ़ अभिजीत को मिलना चाहिये ये एक बहस का मुद्दा ज़रूर हो सकता है।
वैसे इससे पहले अभिजीत ने अपने आपको शाहरुख़ ख़ान की आवाज़ बताते हुये ये कहा था की उनकी आवाज़ में ही किंग खान ने सबसे ज़्यादा हिट गाने दिये हैं। वैसे एक सरसरी निगाह डालें तो शाहरुख़ के लिये ज़्यादा गाने तो नहीं गाये हैं अभिजीत ने। उदित नारायण औऱ कुमार शानू ने कहीं ज़्यादा गाने गाये हैं शाहरुख़ के लिये। इस पर भी बहस हो सकती है जो ज़्यादा लंबी नहीं खिंचेगी। लेक़िन अभिजीत हैं तो मामला कुछ भी हो सकता है।
वैसे कुसूर उनका भी नहीं है। बरसों पहले सलमान ख़ान की फ़िल्म बाग़ी के हिट गाने देने के बाद भी वो सलमान की आवाज़ नहीं बन पाये औऱ ये सौभाग्य मिला एस पी बालासुब्रमण्यम जी को। इसके बाद शाहरुख़ ख़ान के लिये भी हिट गाने देने के बाद भी उदित नारायण औऱ कुमार सानू ने ही उनके अधिकतर गीत गाये।
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आज ये अभिजीत मेरे निशाने पर क्यूँ हैं? यही सोच रहे होंगे आप। दरअसल आज दिन में देवानंद जी की फ़िल्म सीआईडी (1961) के गाने सुन रहा था तो अभिजीत का ख़्याल आया।
आमिर खान-करिश्मा कपूर की फ़िल्म \’राजा हिंदुस्तानी\’ बड़ी हिट फिल्म थी औऱ बहुत से कारणों से ये चर्चा में रही थी। फ़िल्म की सफलता में उसके संगीत का बड़ा योगदान रहा था। नदीम श्रवण के संगीत को आज भी पसंद किया जाता है। फ़िल्म का सबसे हिट गाना \’परदेसी परदेसी\’ रहा जिसको उदित नारायण, अलका याग्निक एवं सपना अवस्थी ने गाया था।
उदित नारायण को इस फ़िल्म के लिये फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला था। अभिजीत जिनका फ़िल्म फ़रेब का गाना \’ये तेरी आँखें झुकी झुकी\’ भी फ़िल्मफ़ेअर के लिये नॉमिनेट हुआ था। उदित नारायण का ही एक औऱ सुंदर गाना घर से निकलते ही भी लिस्ट में था। लेक़िन अवार्ड मिला राजा हिंदुस्तानी के गीत को चूँकि वो बड़ा हिट गाना था बनिस्बत घर से निकलते ही के।
अभिजीत इस बात से बहुत आहत हुये थे और उन्होंने बाद में कहा की \”गाने में दो लाइन गाने के लिये उदित नारायण को अवार्ड दे दिया\”। अग़र आपने गाना सुना हो तो निश्चित रूप से उदित नारायण ने दो से ज़्यादा लाइन को अपनी आवाज़ दी थी। ख़ैर।
तो आज पर वापस आते हैं। फ़िल्म सीआईडी के गाने एक से बढ़कर एक हैं। आजकल तो ऐसा बहुत कम होता है की किसी फ़िल्म के सभी गाने शानदार हों, लेक़िन उन दिनों संगीत क़माल का होता था शायद इसीलिये आज उसीकी बदौलत बादशाह औऱ नेहा कक्कड़ जैसे लोगों का कैरियर बन गया है। बहरहाल, फ़िल्म का संगीत ओ पी नय्यर साहब का है औऱ बोल हैं मजरुह सुलतानपुरी साहब के। लेक़िन इस एक गीत के बोल लिखे हैं जानिसार अख्तर साहब ने।
इस गाने की खास बात देवानंद औऱ शकीला तो हैं ही लेक़िन उससे भी ज़्यादा ख़ास है इसका मुखड़ा। जो इस गाने के अंतरे हैं उसमें नायिका नायक से सवाल पूछती है औऱ नायक का बस एक जवाब होता है \’आँखों ही आँखों में इशारा हो गया\’। मोहम्मद रफ़ी साहब के हिस्से में मुखड़े की बस ये दो लाइन ही आईं औऱ गाने के अंत तक आते आते वो भी गीता दत्त के पास चला जाता है। लेक़िन जिस अदा से रफ़ी साहब मुखड़े की दो लाइन गाते हैं औऱ पर्दे पर देवानंद निभाते हैं…
लाइन दो मिलें या पूरा गाना बात तो उसको पूरी ईमानदारी से निभाने की है। अवार्ड मिले या न मिले। औऱ लोगों का क्या, उनका तो काम है कहना। औऱ ये मानने में भी कोई बुराई नहीं है की आप सबसे अच्छे हैं। बात तो तब है जब यही बात बाक़ी लोग भी कहें या माने।