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काली कार की ढेर सारी रंगबिरंगी यादें

ऑफ़िस में एक नई कार आयी थी टेस्ट ड्राइव के लिए। टीम के सदस्य बता रहे थे कि कैसे उन्होंने कार चलाना सीखा। सुवासित ने बताया कि कैसे वो जब मारुती 800 सीख रहे थे तो चप्पल उतारकर गाड़ी चलाते थे की गलती से कहीं पैर ब्रेक के बजाए एक्सीलेटर पर स्लीप न हो जाये। प्रतीक्षा ने बताया कि उनको सीखने के दौरान डाँट पड़ी तो उन्होंने सीखना ही छोड़ दिया।

हमारे परिवार में एक विंटेज कार है। ऑस्टिन 10 जिसे मैं बचपन से देखता आ रहा हूँ। मेरा कार चलाना सीखना उसी पर हुआ। काले रंग की कार के चलते हमारा घर काली कार वाला घर के नाम से जाना जाता था। जब सीख रहा था तब सिर्फ ऑस्टिन में ही फ्लोर गियर थे। बाकी सभी गाड़ियों में स्टीयरिंग से लगे हुए गियर थे। तब लगता था इसी गाड़ी में गियर अलग क्यूँ हैं। आज सभी गाड़ियों में फ्लोर गियर देख कर लगता है ऑस्टिन ने अच्छी तैयारी करवा दी थी।

बहरहाल, गाड़ी सीखते समय पिताजी से काफी मार खाई। गियर और स्टेयरिंग का तालमेल बिठाना एक अलग ही काम लगता था। आजकल के पॉवर स्टेयरिंग के जैसे आराम से घूमने वाले स्टेयरिंग बहुत बाद में चलाने को मिले। ऑस्टिन का स्टेयरिंग बहुत ही मुश्किल से चलता था शुरुआत में। पूरी ताकत लग जाती गाड़ी घुमाने में।

जब पिताजी घर पर नहीं तो सामने जो छोटी सी जगह थी उसमें गाड़ी घुमाते। कई बार दीवार या गैरेज से कार टकराई। लेकिन ऑस्टिन की बॉडी मतलब लोहा। मजाल है एक ख़रोंच भी आये। जब कभी गाड़ी रोड पर निकलती तो नये ज़माने की नाज़ुक कारों के लिए डर लगता की कहीं ऑस्टिन से टकराकर वो चकनाचूर न हो जाएं।

एक बार देर रात परिवार के सदस्य और कुछ मेहमान कहीं से लौट रहे थे। सुनसान सड़क पर ज़ोर से आवाज़ हुई जैसे कुछ बड़ी सी चीज कहीं गिरी हो। पापा ने कार रोकी देखने के लिए। लेकिन रोड खाली। कहीं किसी जीव जंतु का नामोनिशान नहीं। ऑस्टिन स्टार्ट करी लेकिन कार आगे नहीं बढ़े। उतरकर देखा तो ड्राइवर साइड का जो बाहर निकला हुआ टायर का कवर था वो अंदर धंसा हुआ था। लोहे की बॉडी वाली ऑस्टिन के साथ क्या हुआ था ये एक सस्पेंस अभी भी बरकरार है। जब ये ठीक हो रही थी तो मेकैनिक भी परेशान की ये हुआ कैसे। उनका ये मानना था कि ज़रूर किसी खंबे से टकरा गई होगी।

आजकल की गाड़ियों के बॉंनेट खोलें तो समझ में नहीं आता कहाँ क्या है। अगर गाड़ी कहीं खड़ी हो जाये तो आपके पास हेल्पलाइन को फोन करने के अलावा और कोई चारा ही नहीं बचता। लेकिन ऑस्टिन के इंजन जैसा बिल्कुल सिंपल सा इंजन मैंने आजतक नहीं देखा। गाड़ी कहीं खड़ी हो जाये तो आप कोशिश कर सुधारकर आगे चल सकते हैं।

ऑस्टिन में अनुज की बिदाई

ऑस्टिन के साथ बहुत सारी यादें हैं। बहुत ही मज़ेदार भी। जैसे जब हम कहीं से लौट रहे थे तो स्टेयरिंग जाम हो गया। गाड़ी मोड़ रहे थे उल्टे हाथ की तरफ लेकिन गाड़ी सीधे चली जा रही थी। या जब हमारी गाड़ी के बगल से किसी गाड़ी का एक टायर निकला। सब बोले अरे देखो ये क्या है। वो तो जब ऑस्टिन का पिछला हिस्सा तिरछा हुआ तो समझ में आया कि ये तो अपनी कार का टायर निकल गया है।

आखरी बार ऑस्टिन चलाने की याद है जब छोटे भाई की शादी की बिदाई हुई। दोनों भाई अपनी पत्नी के साथ ऑस्टिन का आनद ले रहे थे कि पेट्रोल खत्म हो गए। शेरवानी पहने दूल्हे राजा गए थे पेट्रोल लाने। लोगों ने बहुत दिए लेकिन ऑस्टिन ने कभी धोका नहीं दिया।

आज भी जब कभी गाड़ी चलाते हैं तो काली कार की याद आ ही जाती है।

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