आज एक फ़ोटो देखने औऱ एक कहानी पढ़ने के बाद ये पोस्ट लिखना तय हुआ। अब दिमाग़ में तो कहानी बन जाती है, लेक़िन उसको जब लिखना शुरू करो तो मामला टायें टायें फिस्स हो जाता है। चलिये आज फ़िर से प्रयास करते हैं।
तो आज एक अदाकारा ने अपनी नई गाड़ी के साथ फ़ोटो साझा करी। जो गाड़ी उन्होंने ली वो मुझे भी बहुत पसंद है औऱ जीवन में पहली बार बैठना हुआ 2018 में जब दिल्ली में काम करता था। मोहतरमा ने लिखा कि ये गाड़ी खरीदना उनके लिये एक सपने के जैसा है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था की उनके जीवन में ये दिन कभी आयेगा।
जो गाड़ी उन्होंने ख़रीदी है वो कोई ऐसी ख़ास महंगी नहीं है। मतलब आज जिस तरह से हमारे कलाकार करोड़ों रुपये की गाड़ी ख़रीद कर फ़ोटो साझा करते हैं, उसके मुकाबले ये गाड़ी कोई ख़ास महँगी नहीं है।
लेक़िन जब आप किसी गाड़ी का अरमान लेकर बड़े होते हैं तो औऱ जब आप उसको ख़रीद लेते हैं तो वो बेशकीमती हो जाती है। उसके साथ जो आपका जुड़ाव होता है वो पैसे से नहीं नापा जा सकता है। उसको ख़रीदना एक सपना ही रहता है। आप सारा जीवन ललचाई नज़रों से औऱ लोगों के पास उस गाड़ी को जब देखते रहते हैं औऱ एक दिन उस लंबे इंतज़ार के बाद जब वही गाड़ी आपके पास होती है तो विश्वास नहीं होता। जब आप उसपर बैठकर घूमने निकलते हैं तो आपका एक अलग अंदाज भी होता है औऱ एक अलग उमंग भी।
पिछले कुछ समय से पिताजी से नई गाड़ी लेने के लिये आग्रह किया जा रहा है। अब वो ज़माने लद गये जब एक ही गाड़ी जीवन भर चल जाती थी औऱ अगर देखभाल ठीक ठाक करी हो तो उसको अगली पीढ़ी को भी सौंप देते हैं। अभी तो नियम कायदे भी ऐसे हो गये हैं की पुरानी गाड़ी रखना मुश्किल है। अभी जो गाड़ी है उसका भरपूर उपयोग किया गया है। पिताजी का गाड़ियों के प्रति वैसे भी कुछ ज़्यादा ही लगाव रहता है।
इसलिये पिताजी को गाड़ी बदलने के लिये मनाना कोई आसान काम नहीं है। उस गाड़ी के साथ ढेरों यादें भी जुड़ी हुई हैं। उसको लेकर कई चक्कर मुम्बई के लगाये हैं औऱ एक बहुत ही यादगार यात्रा रही भोपाल से कश्मीर की। वैसे तो हम लोगों ने कार से कई यात्रायें करी हैं लेक़िन ये सबसे यादगार यात्रा बन गई।
अब इससे पहले की यात्रा के संस्मरण शुरू हो जायें, मुद्दे पर वापस आते हैं। तो मोहतरमा का गाड़ी के प्रति प्यार देखकर मुझे याद आयी मेरे जीवन की पहली गाड़ी। गाड़ी लेने के प्रयास कई बार किये लेक़िन किसी न किसी कारण से ये टलता ही रहा। फ़िर कुछ सालों बाद एक दो पहिया औऱ उसके कुछ वर्षों बाद चार पहिया वाहन भी ख़रीद लिया।
जब कार ख़रीदी तब सचमुच लगा की आज कुछ किया है। तूफ़ानी भी कह सकते हैं। मेरे लिये कार ख़रीदना के सपने के जैसा था। जिस तरह से मैं काम कर रहा था या जैसे शुरुआत करी थी, जब गाड़ी आयी तो लगा वाकई में जीवन की एक उपलब्धि है। औऱ इसी से जुड़ी है आज की दूसरी फ़ोटो जिसका ज़िक्र मैंने शुरुआत में किया था। एक उड़ान खटोले वाली निजी कंपनी ने अपना एक विज्ञापन दिया – हम आपके जीवन के लक्ष्य या बकेट लिस्ट को पूरा करने में आपकी मदद करेंगे।
इन दिनों इस बकेट लिस्ट का चलन भी बहुत है। लोग अपने जीवन में जो भी कार्य उन्हें करने है, कहीं घूमने जाना है, पैराशूट पहन कर कूदना है, या किसी ख़ास व्यक्ति से मिलना है, आदि आदि की लिस्ट बना कर रखते हैं। औऱ उनको पूरा करने का प्रयास करते हैं। जब ये हो जाता है तो सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया को बताते हैं।
क्या मेरी कोई लिस्ट है? नहीं। क्योंकि मुझे तो लगता है मेरा जीवन भी कोई बकेट लिस्ट से कम नहीं है। मैं ये लिख रहा हूँ, आप ये पढ़ रहे हैं – ये किसी लिस्ट का हिस्सा नहीं हो सकते। हाँ अब लगता है एक लिस्ट बना ही लूँ लेक़िन उसमें सिर्फ़ एक ही चीज़ लिखूँ। बेशर्मी। नहीं नहीं वो नहीं जो आप सोच रहे हैं, बल्कि बेशर्म हो कर लिखना औऱ उससे भी ज़्यादा बेशर्म होकर सबसे कहना पढ़ो औऱ शेयर करो। औऱ हाँ कमेंट भी करना ज़रूर से। लीजिये शुरुआत हो भी गयी। 😊
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाइश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेक़िन फ़िर भी कम निकले