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उम्र के अलग अलग पड़ाव के अलग अलग दोस्त

बीते 14 फरवरी को ऑफिस में टीम के सदस्य ऐसे ही सबको गाने समर्पित कर रहे थे। किसी ने आयुष्मान खुराना और परिणीति चोपड़ा पर फिल्माया गया गाना माना कि हम यार नहीं ये तय है कि प्यार नहीं की फ़सरमेश करी। ये गाना पहले भी कई बार सुना था लेकिन उस दिन जब इसको सुना तो याद आये यार दोस्त।

कहते नही हैं ना कि दोस्त खास होते हैं क्योंकि बाकी रिश्तेदारों की तरह वो आपको विरासत में नहीं मिलते। उन्हें आप चुनते हैं। स्कूल के दोस्त, कॉलेज के दोस्त ऑफिस के दोस्त और वो आस पड़ोस वाले दोस्त जिनके साथ आप बड़े हुए हैं। इनमे से सबके साथ आपकी ट्यूनिंग अलग अलग होती है।

मैं ये मानता हूँ कि आपके दोस्त तो कई होते हैं लेकिन एक या दो ही ऐसे दोस्त होते हैं जो कि आपको समझते हैं और जिनसे आप कोई भी बात बिना झिझक कर सकते हैं। वो सभी बातें जो आप अपने बाकी सभी दोस्तों से नहीं कर सकते या परिवार के भी किसी सदस्य से नहीं। अंग्रेज़ी में इन्हें 3 AM दोस्त कहते हैं। मतलब आपको उन्हें रात के 3 बजे अगर फ़ोन करना हो तो सोचे नहीं और बस फ़ोन करदें। और दुसरी ओर जो व्यक्ति है वो भी ये ना सोचे कि क्या 3 बजे फ़ोन कोई फ़ोन करता है।

कॉलेज के दिनों में जय कृष्णन मुझे मिले और हमने कॉलेज के अपने छोटे से साथ का बहुत आनंद लिया। क्लास में बैठकर टेबल पीट पीट कर गाने गाना और फिल्में देखना। बहुत ही यादगार रहा जब तक जय ग्वालियर में होटल मैनेजमेंट पढ़ने नहीं चले गए। उसके पहले बीएचईएल की टाउनशिप में जय जहाँ रहते थे, उनके माध्यम से मेरी मुलाकात हुई सलिल से।

जय तो चले गए लेकिन सलिल से मेरी दोस्ती बढ़ती गयी क्योंकि हम लोग एक ही कॉलेज में थे जिसका पता मुझे बाद में चला। ज़्यादा किसी से बात नहीं करते थे लेकिन मेरी उनकी फ्रीक्वेंसी मैच कर ही गयी।

सलिल वही शख्स हैं जिनके बारे मैंने पहले एक बार लिखा था। जिन्हें मैंने भोपाल स्टेशन टाइम बेटाइम बुला कर परेशान किया और सलिल ने दोस्ती का फर्ज निभाते हुए और निश्चित रूप से घरवालों से डाँट खाते हुए ये फ़र्ज़ बखूबी निभाया। आज उनके जन्मदिन पर ढेरों बधाइयाँ और शुभकाननाएँ। और ये गाना भी उनके ही लिये।

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