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रुकावट के लिये खेद है

जो केबल टीवी या अब डिश टीवी देखकर बड़े हुये हैं उन्हें शायद रुकावट के लिये खेद है का संदर्भ नहीं समझ आये। लेक़िन दूरदर्शन की जनता इससे भली भांति परिचित होगी। आज जो माहौल चल रहा है ये वही रुकावट के लिये खेद है वाला है और आज इससे नई पीढ़ी का मिलना भी हो गया।

जब दूरदर्शन पर कोई प्रोग्राम देख रहे होते थे तो अचानक लिंक गायब और स्क्रीन पर रुकावट के लिये खेद है का नोटिस दिखाई देने लगता। ये कई बार होता और अगर मैं ये कहूँ की फ़िर इसकी आदत सी बन गयी तो ग़लत नहीं होगा।

आज अगर आप टीवी देख रहें हो तो ऐसा कोई अनुभव नहीं होता। आज तो ब्रेक होता है और आप चैनल बदल लेते हैं। उन दिनों ऐसा कोई ऑप्शन नहीं हुआ करता था। अगर प्रोग्राम में कोई रुकावट आ जाये तो आप अपनी नज़रें स्क्रीन पर ही गड़ाये बैठे रहते की कब वापस आ जाये। अच्छा ये प्रोग्राम की लिंक या तो दिल्ली से टूट जाती या सैटेलाइट के व्यवधान से। कई बार ऐसा भी होता की जब तक लिंक वापस आयी तो प्रोग्राम ख़त्म। कोई रिपीट टेलिकास्ट का भी ऑप्शन नहीं।

पिछले कुछ दिनों से ऐसा ही हुआ है। रुकावट के लिये खेद है वाला बोर्ड लगा दिया गया है। आप के पास भी कोई ऑप्शन नहीं सिवाय इसके की आप लिंक के फ़िर से जुड़ने का इंतजार करें। इस दौरान आप क्या करते हैं ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि आपको इतना पता है लिंक के जुड़ने की संभावना कब है। बजाय इसके की आप एक एक दिन गिन कर इसके ख़त्म होने का इंतज़ार करें, क्यूँ न अपने आप को ऐसे ही कामों में व्यस्त रखें। समय निकल भी जायेगा और आपके कई काम भी निपट जायेंगे।

कहने के लिये तो लिंक टूट गयी है, लेकिन ये समय है लिंक जोड़ने का। अपने आप से, परिवार के सदस्यों से। ट्विटर पर किसी ने सुझाव दिया कि हर दिन अंग्रेज़ी वर्णमाला के एक एक वर्ण से शुरू होने वाले नाम के लोगों को फ़ोन करें। जब तक ये कर्फ्यू हटेगा आपकी फ़ोन लिस्ट में A से Z तक बात हो चुकी होगी।

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