फ़िल्म कयामत से कयामत तक में जूही चावला गुंडों से पीछा छुड़ाते हुए जंगल में गुम जाती हैं और जैसा कि फिल्मों में होता है उसी जंगल में आमिर खान अपने दोस्तों से बिछड़ जाते हैं। बात करते हुए जूही चावला बड़ी मासूमियत से आमिर खान कहती हैं “हम पर आप का बहुत अच्छा इम्प्रेशन पड़ा है”।
अपने इस छोटे से जीवन में ऐसे कितने लोग हैं जिनके लिए हम ये कह सकते हैं? हम बहुत से लोगों से मिलते जुलते हैं लेकिन उनमें से बहुत कम लोग आप के ऊपर अपनी छाप छोड़ जाते हैं।
कार्य के क्षेत्र में आपको ऐसे लोग मिलें तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। ऐसे बॉस कम ही मिलते हैं जिन्हें आप याद तो करते हों लेकिन इसलिये क्योंकि आपको उनके साथ काम करने में आनंद आया। इसलिये नहीं कि उन्होंने आपको बहुत परेशान किया और जीना मुश्किल कर दिया – जैसा कि अक्सर लोग याद किया करते हैं।
जब मैंने 2010 में डिजिटल जर्नलिज्म में वापस कदम रखा तो ये सफ़र और इसमें जुड़ने वाले साथीयों का कुछ अता पता नहीं था। लेकिन कुछ ही महीनों में जिस कम्पनी के लिए काम कर रहा था उसमें कुछ बदलाव होना शुरू हुए और फिर एक दिन सीनियर मैनेजमेंट में बड़े बदलाव के तहत एक नए शख्स ने हमारे COO के रूप में जॉइन किया।
डिजिटल जर्नलिज्म उन दिनों बढ़ना शुरू हुआ था और ये एक बहुत ही अच्छा समय था इससे जुड़े लोगों के लिये। लेकिन ये जो बदलाव हुए कंपनी में इससे थोड़ी अनिश्चितता का दौर रहा। लेकिन अगर कुशल नेतृत्व के हाथों में कमान हो तो नौका पार हो ही जाती है।
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कुछ ऐसा ही रहा Sandeep Amar का उस कंपनी और मेरे जीवन में आने का असर। ऐसे बहुत से मौके आते हैं जब आप को पता नहीं होता कि ये किया जा सकता है लेकिन आप के आस पास के लोगों का विश्वास आपका साथी बनता है और आप कुछ ऐसा कर गुज़रते हैं जिसकी मिसाल दी जाती है। ठीक वैसे ही जैसे दंगल के क्लाइमेक्स में आमिर खान अपनी बेटी को समझा रहे होतें हैं। गोल्ड मेडलिस्ट की मिसाल दी जाती है।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी संदीप से आप किसी भी विषय पर बात करलें आप को निराशा नहीं होगी। ओशो से लेकर सनी लियोन सभी पर कुछ कहने के लिये है। उनसे झगड़े भी बहुत हुए, कहा सुनी भी लेकिन फिर एक दोस्त की तरह बात फिर से शुरू। अगर आज मेरी डिजिटल जर्नलिज्म की समझ बढ़ी है तो इसका एक बहुत बड़ा श्रेय संदीप को ही जाता है। काम से अलग उनके साथ न्यूयॉर्क की यादगार ट्रिप आज भी यूँही एक मुस्कुराहट ले आती है।
संदीप मेरे फेसबुक पोस्ट लिखने से बहुत ज़्यादा खुश नहीं हैं लेकिन अगर आज मैं ये पोस्ट लिखकर उन्हें जन्मदिन की बधाई नहीं देता तो कुछ अधूरा सा लगता। जन्मदिन मुबारक संदीप सर।
और टैक्सी में ये गाना सुनते हुए क्या करें क्या न करें ये कैसी मुश्किल हाय, नमस्ते मुम्बई।
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