वाशी के बीएसईएल टॉवर की 12वीं मंज़िल के हमारे ऑफिस को छोड़ हम नये ऑफिस में शिफ़्ट होने वाले थे। शिफ़्ट होने के पहले वाली रात कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे फ़ोन किया और जानना चाहा कि विंबलडन के मैच जो उस समय चालू था, उसे कौन कवर कर रहा था। मैंने उन्हें बताया मोहतरमा का नाम। वो कवरेज से काफी नाराज़ थे क्योंकि अंग्रेज़ी ठीक नहीं थी कॉपी में। मैं उनके विचारों से सहमत था की बहुत ही ख़राब कॉपी थी। हम दोनों की इस पर बहस हुई और मैंने उन्हें अपना त्यागपत्र भेज दिया ये कहते हुये की आप और अच्छा संपादक ले आयें।
अगले दिन नये ऑफिस के उद्घाटन से पहले हम दोनों और साथ में एक और सीनियर ने ठंडे दिमाग से इस मुद्दे पर फ़िर बात करी। उन्होंने मुझे काफी समझाया कि त्यागपत्र देना सबसे आसान काम है। चीजों को बेहतर सिस्टम में रहकर किया जा सकता है बाहर रहकर नहीं।
लोकसभा चुनाव के परिणाम से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी काफ़ी आहत हैं। उन्हें इस तरह के नतीजों की ज़रा भी उम्मीद नहीं थी। उन्हें लगा था कि लोग मोदी का नहीं उनका साथ देंगे। लेकिन लोगों के फैसले से काफ़ी दुखी राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ने का मन बना लिया है। कांग्रेसी नेताओं का एक बड़ा तबका चाहता है को वो ऐसा न करें लेकिन राहुल ने न सिर्फ अपना पद छोड़ने का बल्कि अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को भी इससे दूर रखने का एलान कर दिया है।
राहुल का दर्द समझ आता है। उन्होंने सचमुच काफी मेहनत करी लेकिन परिणाम ठीक नहीं मिले। जब आप एक टीम के लीडर बनते हैं तो कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे सचिन तेंदुलकर जब कप्तान बने तो उन्हें लगा की इससे उनके खेल पर फर्क पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने कप्तानी छोड़ दी। वहीं आप धोनी को देख सकते हैं। कैप्टन कूल का ख़िताब उन्हें यूं ही नहीं मिला।
राहुल गांधी कांग्रेसी नेताओं से गुस्सा हैं टिकट वितरण को लेकर। उन्होंने तीन वरिष्ठ पार्टी सदस्यों पर इल्ज़ाम भी लगाया कि अपने बेटों के टिकट के लिये उन्होंने बहुत जोर दिया। ये सही हो सकता है। लेकिन अंतिम निर्णय तो राहुल का ही था। ऐसे में वो अपनी ज़िम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं। अगर यही उम्मीदवार जीत कर आते तो कोई बहस का मुद्दा ही नहीं बनता। ये बिल्कुल सच है और सही है कि आप उतने ही अच्छे हैं जितनी अच्छी आपकी टीम है। और बजाए ये की आप त्यागपत्र दें, क्यों न उस टीम को बदला जाये और उन सभी से त्यागपत्र मांगा जाये जिनकी कोशिशें अधूरी थीं।
हार से हताशा जायज़ है लेकिन ये हमारे प्रयास ही हैं जो इस हार को जीत में बदल सकते हैं। जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता सिर्फ सीख ली जा सकती है।
मैंने त्यागपत्र वापस लेकर काम जारी रखा और टीम ने उसके बाद नई ऊंचाइयों को छुआ। रणभूमि में रहकर संघर्ष काफी कुछ सीखा जाता है। उन मोहतरमा को अंग्रेज़ी भी न सीखा सका न उनसे पीछा छुड़ा सका। हाँ, आगे के लिये उनसे बहुत कुछ सीख ज़रूर मिल गयी। उस पर फ़िर कभी।
डांस फ्लोर को देखते रहने से अगर सब को नाचना आता तो आज मैं गोविंद जैसे मटक रहा होता। लेकिन अभी तो लगता है सनी देओल भी अच्छा डांस कर लेता है।