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बड़ी ख़ूबसूरत है वो ज़िंदगानी…

इस पोस्ट को लिखने का सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा है, लेक़िन मैं किसी न किसी बहाने इसको टालता रहा। अब आज जब न लिखने के सब बहाने ख़त्म हो गये तो प्रयास पुनः आरंभ किया।

आपके परिवार में माता पिता के अलावा आपके भाई बहन ही आपका पहला रिश्ता होते हैं। समय के साथ ये लिस्ट बड़ी होती जाती है और इसमें दोस्तों, रिश्तेदारों एवं जीवनसाथी, उनके परिवार के सदस्य का नाम भी जुड़ जाता है। लेक़िन जो आपके कोर ग्रुप होते हैं वो वही होते हैं।

ऐसा कई बार हुआ है हम भाई, बहन किसी बात पर हँस हँस कर लोटपोट हुये जाते हैं लेक़िन वो जोक किसी और को समझ में नहीं आता। ये जो वर्षों का साथ होता है इसमें आपने साथ में कई उतार चढ़ाव साथ में देखे हैं। आपको माता पिता का वो संघर्ष याद रहता है। कई यात्रओं की स्मृति साथ रहती है। अक्सर इन अच्छी यादों, अच्छे अनुभवों को आपने अपने बच्चों के साथ एक बार फ़िर से जीना चाहते हैं और इसलिये कुछ वैसे ही काम करते हैं।

जैसे जब हम बड़े हो रहे थे तब टीवी देखना परिवार की बड़ी एक्टिविटी हुआ करती थी। अब आज के जैसा जब समय मिले तब देखना हो जैसी सुविधा नहीं थी। दिन और समय नियत होता था। आप काम ख़त्म करके या ऐसे ही टीवी के सामने बैठ जायें ये आपके ऊपर है। कुछ वैसा ही हाल रेडियो का भी था। संगीत का शौक़ और उससे जुड़ी कई बातें पहले भी साझा करी हैं। लेक़िन जिस घटना को आज बता रहा हूँ उसका संगीत से सीधा जुड़ाव नहीं है।

इस बात को लगभग 20-22 साल बीत चुके हैं लेक़िन ये पूरा वाकया बहुत अच्छे से याद है। पिताजी से मैंने एक सोनी के म्यूजिक सिस्टम की ज़िद कर ली। ज़िद भी कुछ ऐसी की ना सुनने को तैयार नहीं। जब लगा की बात बन नहीं रही है तो एक दिन उनके स्कूल पहुँचकर उनको साथ लेकर दुकान पर गया और सिस्टम लेकर ही बाहर निकला।

घर पर काफ़ी समय से इस मुद्दे पर गरमा गरम चर्चा हो चुकी थी। लेक़िन जब सिस्टम घर पहुंचा तो पिताजी ने कुछ नहीं कहा अलबत्ता छोटी बहन यशस्विता ने मेरी ख़ूब खिंचाई करी। ख़ूब गुस्सा हुई औऱ शायद रोई भी। उसको इस बात से बहुत दुख था की एक मोटी रक़म ख़र्च कर सिस्टम लिया था जबकि वही पैसा किसी और काम में इस्तेमाल आ सकता था।

इसके बाद ये झगड़ा, अलग सोच एक रेफरेंस पॉइंट बन गया था। कुछ सालों बाद हम इस बात पर हँसते भी थे लेक़िन इस एक घटना ने मेरी बहन की सोच को सबके सामने लाकर रख दिया था। वैसे वो म्यूजिक सिस्टम अभी भी है, अलबत्ता अब चलता नहीं है।

2007 में जब छोटी बहन यशस्विता को कैंसर का पता चला तो उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य था इस बीमारी को हराना और अपने आने वाले बच्चे को बड़ा करना। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में जब हम डॉक्टर का इंतजार कर रहे तो वो इधर उधर टहल रही थी। जब डॉक्टर ने ये बताया की कैंसर ही है तो शायद एकाध बार ही उसके आँसू निकले होंगे। उसके बाद तो जैसे उसने लड़ाई की ठान ली थी।

उस पूरे समय मुझे ये लगता था की उसका ये लड़ने का जज़्बा ही हम सबकी हिम्मत बन गया था। सारी तकलीफ़ झेली उन्होंने लेक़िन हिम्मत हम सबको देती रही। इस लड़ाई की योद्धा, सेनापति सभी रोल वो बखूबी निभा रही थीं। ट्रीटमेंट ख़त्म होने के बाद मुंबई सालाना दिखाना के लिये आना होता औऱ सब कुछ ठीक ही चल रहा था।

लेक़िन अक्टूबर 2019 में जब कैंसर ने दुबारा दस्तक दी तो बात पहले जैसी नहीं थी। लेक़िन हमारी योद्धा की हिम्मत वैसी ही रही जैसी बारह साल पहले थी। हमेशा यही कहती की मुझे इसको हराना है। जब ये साफ हो गया की अब बात चंद दिनों की ही है तो उन्होंने एक और हिम्मत का काम किया और अपने पति और बच्चों, परिवार के लिये एक बहुत ही प्यारा सा संदेश भी रिकॉर्ड किया जो 3 अक्टूबर 2020 को उनके जाने के बाद सुना। जब ये सुना तब लगा जिस सच्चाई को स्वीकारने में मुझे इतनी मुश्किल हो रही थी उसको उसने कैसे स्वीकारा।

वैसे तो जब साथ में बड़े हो रहे थे तब सभी ने एक दूसरे को ढेरों नाम दिये। लेक़िन एक नाम जो मैंने पम्मी को दिया और एक उसने मुझे जो बाद के वर्षों में बस रह गया साथ में। मुझे ये याद नहीं इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई। लेक़िन ये याद रहेगा इसका अंत कब हुआ।

आज जब वो हमारे बीच नहीं है तो भी मेरी हिम्मत वही बढ़ाती है। उसके जाने के बाद बहुत से ऐसे मौके आये जब मैंने अपने आपको बहुत कमज़ोर पाया लेक़िन अपनी छोटी बहन के जज़्बे ने बहुत हिम्मत दिलाई। कैंसर से उसकी लड़ाई, जीने की उसकी ललक अब ताउम्र हम सभी का हौसला बढ़ाती रहेगी।

जन्मदिन मुबारक़, कल्लों। ❤️❤️❤️
सिर्फ़ तुम्हारा, मोटू डार्लिंग

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    • Thanks a lot Santosh Bhai. Yes it’s very very difficult and we just try and live with the vaccum in their lives. We try to do that on a daily basis ever since she left us.

  1. I never knew about you or your family much. I’m actually very sad to know that you lost your sister. It’s painful, dear but I feel so very proud of her. She is exemplary