2020 जीवन के ऐसे ऐसे पाठ पढ़ा गया है जो ताउम्र नहीं भूल पायेंगे। यूँ तो साल 2020 से बहुत से गिले शिकवे हैं, लेक़िन इसीकी तारीखों में दर्ज़ हो गयी है एक कभी न भूलने वाली ऐसी तारीख़ जिसने हमारी ज़िंदगी को हमेशा हमेशा के लिये बदल दिया है।
कहते हैं जिस तरह किसी का जन्म एक बड़ी घटना होती है, ठीक वैसे ही किसी की मृत्यु एक जीवन बदलने वाली घटना होती है। लेक़िन इस जीवन बदलने वाली घटना ने इस साल बहुत सी ऐसी बातें बताई जिन्हें हम नज़रअंदाज़ करते रहते हैं लेक़िन जो बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैं प्रयास करूँगा उन बातों को आपके साथ साझा करने का।
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा कहते हैं।
आज, अभी
हम बहुत से काम कल पर टालते रहते हैं। किसी को फ़ोन करना हुआ, किसी की तारीफ़ करना हुआ, किसी को ये बताना की वो आपके लिये ख़ास हैं, किसी को ये बताना की कैसे उन्होनें आपका जीवन बदल दिया। मतलब लोगों का शुक्रिया अदा करना। अपने मन की बात करना। महीने के आखिरी रविवार नहीं, रोज़। प्रतिदिन।
2020 में मेरे दिल्ली के पीटीआई के मित्र अमृत मोहन ने भी हमको अलविदा के दिया। पीटीआई से निकलने के बाद मैंने अमृत से कई बार संपर्क साधने की कोशिश करी लेक़िन ये संभव नहीं हुआ। मैंने कई लोगों से उनका नंबर माँगा भी लेक़िन बात नहीं हो पाई। जब उनके निधन का दुखद समाचार मिला तो उस समय सिवाय अफ़सोस के मेरे पास कुछ नहीं बचा था। हाँ अमृत के साथ बिताये समय की यादें हैं और अब वही शेष हैं।
हमको मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से
अगर आप मोबाइल इस्तेमाल करते हैं या सोशल मीडिया पर फेसबुक देखते हों तो आपको कई बार पिछले वर्षों की कोई फ़ोटो या वीडियो देखने को मिल जाती है जो बताती है उस दिन एक साल या पाँच साल पहले आपने क्या कारनामा किया था। आप अगर सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करते हैं तो आप एक बहुत बड़े स्कैंडल से बच जाते हैं। लेक़िन मोबाइल पर फ़ोटो तो फ़िर भी दिख ही जाती हैं। सभी के मोबाइल फ़ोटो से भरे पड़े हैं। लेक़िन आज से एक साल पहले 1 जनवरी 2020 के दिन हमने यशस्विता के साथ बिताया था और आज 1 जनवरी 2021 को बस उन्ही फ़ोटो औऱ हम लोगों की यादों में बसी है।
कुछ लोग एक रोज़ जो बिछड़ जाते हैं
वो हजारों के आने से मिलते नहीं
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते…
तेरा कर्म ही
मुझे पूरा विश्वास है चाहे हंसी मज़ाक में ही सही, भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में जो कहा है की कर्म करो फल की चिंता मत करो, इसे आपने कभी न कभी ज़रूर सुना होगा। इसमें ही जीवन का सार छुपा है। हालात कैसे भी क्यूँ न हों, हमे अपना कर्म करना चाहिये। फल को ध्यान में रखकर कर्म न करें। फल इस जीवन में मिले न मिले। लेक़िन कर्म करते रहिये। निरंतर।
जो भाग्य को मानते हैं उनके लिये चाणक्य ने कहा है
प्रश्न : अगर भाग्य में पहले से लिखा जा चुका है तो क्या मिलेगा?
उत्तर : क्या पता भाग्य में लिखा हो प्रयास करने से मिलेगा?
कई बार जीवन हमें ऐसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ समझ नहीं आता क्या करूँ। इससे जुड़ा एक मज़ेदार किस्सा है। वैसे तो ऐसा आजकल कम होता है, लेक़िन पहले फ़िल्म देखने जाओ तो ऐसे दर्शक बहुत रहते थे जो बीच फ़िल्म में मज़ेदार टीका टिप्पणी करते। ऐसे ही एक फ़िल्म में सीन था जिसमें नायिका भगवान के समक्ष अपनी दुविधा बयाँ करते हुये कहती है, भगवन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। आगे भी अंधेरा, पीछे भी अंधेरा समझ में नहीं आता क्या करूं। दर्शक दीर्घा से आवाज़ आयी – मोमबत्ती जलाओ।
ठीक ऐसे ही जीवन में कई क्षण आते हैं जब आपको समझ नहीं आता। अगरआपकी दर्शक दीर्घा से मोमबत्ती जलाने की आवाज़ सुनाई देती है तो ठीक नहीं तो हर्षद मेहता के जैसे अपना लाइटर निकालें और रोशनी कर लें। ये भी ध्यान रखें इन अंधेरों में रहने से रोशनी नहीं मिलेगी। इसके लिये आपको आगे चलना ही होगा।
फिल्में देखते हुये या कोई किताब पढ़ते हुये या कोई गाना सुनते हुये कई बार आँख भर आती है या कई बार बाल्टी भरने की नौबत भी आ जाती है। लेक़िन इस पूरी प्रक्रिया के पूरे होने के बाद बहुत ही अच्छा, हल्का सा लगता है। इसमें कोई शरमाने वाली बात भी नहीं है। अगर दर्द हो रहा है औऱ आँसू निकल रहे हैं तो उनका निकलना बेहतर है। पुरषों को ये सिखाया जाता रहा है की आँसू कमज़ोरी की निशानी है या उनको ये ताना दिया जाता है लड़कियों वाली हरकत मत करो।
मॉरल ऑफ द स्टोरी:
ज़िन्दगी जीने का कोई एक तरीक़ा नहीं है। सबका अपना अपना तरीक़ा होता है। बस एक बात जो सब पर लागू होती है फ़िर चाहे आप किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या देश के हों कि अगर जन्म हुआ है तो मृत्यु अवश्य होगी। फ़र्क होता है बस हम इन दो घटनाओं के बीच में क्या करते हैं। तो आप अपने जीवन को अपने हिसाब से चुने और अपने ही हिसाब से उसे जियें भी। और जियें ऐसे की सबको रंज हो।
ज़िन्दगी ज़िंदादिली का नाम है,
मुर्दा दिल क्या खाख जिया करते हैं।