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बारिश का बहाना है, ज़रा देर लगेगी

गोआ के कैंडोलिम बीच पर सारी रात बैठ कर बात करके जब सुबह वापस होटल जाने का समय आया तो कहीं से बादल आ गये और बारिश शुरू। बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी तो बस बैठे बैठे बारिश का आनंद लिया।

ये बादलों का भी कुछ अलग ही मिजाज़ है। अगर आप मुम्बई में हैं तो आपको इनके मूड का एहसास होगा।ऐसा पढ़ा है कि इस हफ़्ते मुम्बई में बारिश दस्तक दे सकती है। बारिश में मुम्बई कुछ और खूबसूरत हो जाती है। वैसे बारिश में ऐसा क्या खास है ये पता नहीं लेकिन अगर किसी एक मौसम पर सबसे ज़्यादा गाने लिखे गये हैं तो वो शायद नहीं यक़ीनन बारिश का मौसम ही होगा।

वैसे बारिश मुझे भोपाल के दिनों से पसंद थी। दिल्ली के प्रथम अल्प प्रवास में कुछ खास बारिश देखने को नहीं मिली। बाद में पता चला कि अन्यथा भी बारिश दिल्ली से दूर ही रहती। जब दिल्ली से मुम्बई तबादला हुआ तो वो ऐन जुलाई के महीने में। उस समय मुम्बई की बारिश के बारे में न तो ज़्यादा पता नहीं था न ही उसकी चिंता थी। मेरे लिये मुम्बई आना ही एक बड़ी बात थी। उसपर पीटीआई ने रहने की व्यवस्था भी करी थी तो बाक़ी किसी बात की चिंता नहीं थी।

मरीन ड्राइव पर गरम गरम भुट्टे के साथ बारिश की बूंदों का अलग ही स्वाद होता है। और उसके साथ एक बढ़िया अदरक की गरमा गरम चाय मिल जाये तो शाम में चार चाँद लग जाते हैं। वहां से दूर तक अरब सागर पर बादलों की चादर और बीच बीच में कड़कड़ाती बिजली। अगर मुम्बई में ये नज़ारा रहता तक अब पहाड़ों घर से दिखते हैं। गर्मी में बंजर पहाड़ बारिश के आते ही हरियाली से घिर जाते हैं। इन्हीं पहाड़ों के ऊपर बादल और बारिश दूर से आते दिख जाते हैं। सचमुच बहुत ही सुंदर दृश्य होता है।

कुछ लोग इस मौसम को बेहद रोमांटिक मानते हैं वहीं कुछ लोग काले बादल और बारिश में भीगने से खासे परेशान रहते हैं। मुझे इस मौसम से या किसी औऱ मौसम से कोई शिकायत नहीं है। हर मौसम की अपनी ख़ासियत होती है और उसका आनंद लेने का तरीका। जैसे अगर आप ऐसे मौसम में लांग ड्राइव पर निकल जायेँ जैसा मैंने पिछले साल किया था। भीगी हुई यादों को अपने साथ समेट कर दिल्ली ले जाने के लिये।

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