जब भी कोई बड़ी घटना होती है या आपदा आती है तो वो उस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिये एक बड़ा अवसर होता है। जैसे इस समय हमारे डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ के अन्य सदस्य, पुलिस, स्थानीय प्रशासन के लोग कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे अवसर को अगर आपकी ज़िंदगी बदलने वाला अवसर कहूँ तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
बीते 20 दिनों के बाद ये तो मैं दावे से सबके लिये कह सकता हूँ की जब हमारा जीवन पटरी पर लौटेगा तो कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा। इसका हमारी ज़िंदगी पर असली असर शायद एक दो महीने नहीं बल्कि उसके भी बाद में पता चलेगा।
पत्रकारिता के क्षेत्र की बात करूं तो सबके पास बहुत से किस्से कहानियां होती हैं। हम लोग बहुत सी ऐसी घटनाओं के साक्षी भी होते हैं जो जीवन पर बहुत गहरा असर छोड़ती हैं।
वैसे तो मैं इन 20 वर्षों में कई बड़ी घटनाओं का साक्षी रहा हूँ लेक़िन इनमें से दो का ज़िक्र यहाँ करना चाहूँगा। पहली घटना उस रात की है जब पीटीआई की न्यू ईयर पार्टी थी। हमारा पूरा बैच इस पार्टी का इंतजार कर रहा था। जो पीने पिलाने का शौक़ रखते थे उनके लिये तो ये एक अच्छा मौका था। पार्टी अमूमन दिसंबर के अंतिम हफ़्ते में होती थी लेकिन नये साल से लगभग एक हफ़्ते पहले ताक़ि सब नया साल अपने परिवार के साथ मना सकें।
लेकिन शाम होते होते पार्टी का माहौल थोड़ा फ़ीका पड़ने लगा था। एक न्यूज एजेंसी के रूप में पीटीआई का काम कभी नहीं रुकता था। उस दिन जो एक विमान अपहरण की घटना हुई थी वो कहाँ से कहाँ पहुँच जायेगी इसका कोई अंदाज़ा नहीं था। लेक़िन पल पल मामला ख़राब होता जा रहा था। जब अमृतसर से विमान उड़ा तब हम लोग होटल के लिये निकल रहे थे।
पार्टी हुई लेक़िन सीनियर ने अपनी हाज़री लगायी और वापस आफिस। उनके साथ कुछ और लोग भी चले गये। रात होते होते विमान अपहरण की घटना कोई पुरानी घटना जैसी नहीं रही थी। कंधार विमान अपहरण की याद शायद इसीलिए हमेशा ताज़ी रहती है।
पहली घटना अगर पार्टी की रात थी तो दूसरी घटना थी 26 जनवरी की। जैसा मैंने बताया पीटीआई में कोई त्योहार हो या राष्ट्रीय पर्व, काम चलता रहता है। मैं नाईट शिफ़्ट ख़त्म कर चेंबूर वाले फ्लैट में पहुँच कर बाक़ी लोगों के साथ चाय पी रहा था। उसी समय ऑफिस से फ़ोन आया और भुज के भूकंप के बारे में पता चला।
इस बार की बात बहुत ही अलग है। जिन दो घटनाओं का मैंने ज़िक्र ऊपर किया उसका असर बहुत ही सीमित लोगों पर हुआ। लेकिन कोरोना वायरस का सबका अपना अनुभव है। इस देश में रहने वाले हर एक व्यक्ति के पास, हर गली मोहल्ले में आपको एक कहानी मिल जायेगी। इसमें से अगर बहुत सी कहानियां उन लोगों के बारे में होंगी जो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने ही बारे में सोचते हैं, तो कुछ ऐसी भी होंगी जिसमें लोग निस्स्वार्थ भाव से सिर्फ़ मदद कर रहे हैं। उन्हें न अपनी फ़ोटो खिंचवाने का शौक़ है न अपने काम का बखान करने का। संख्या उनकी कम होगी लेक़िन उनका पलड़ा हमेशा भारी रहेगा।
ये उनके लिये।