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माई-बाप संस्कृति के मारे ये नेता बेचारे

आमिर खान की जो जीता वही सिकंदर एक यादगार फ़िल्म है और इसके कई कारण भी है। पहले तो खुद आमिर खान। फिर फ़िल्म के गाने जो एक पीढ़ी के बाद अब दूसरी पीढ़ी की पसंद बन गए हैं। मगर उससे भी जो अच्छी बात उस फिल्म में थी वो थी भारत में व्याप्त माई बाप की संस्कृति का चित्रण।

आज जब बीजेपी के सांसद महोदय ट्रैन किस टाइम पर कहाँ आये इसका निर्देश देते हुए देखे गए तो मुझे इस फ़िल्म की याद आ गयी। आमिर खान जो एक बहुत अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ते हैं पूजा बेदी को ये झूठ बोलकर की वो सबसे अच्छे स्कूल के छात्र हैं, अपने प्रेमजाल में फंसना चाहते हैं। ऐसा होता नहीं है और पोल खुलने पर पूजा बेदी उन्हें छोड़ एक बड़े घर के लड़के के साथ हो लेती हैं।

फ़िल्म में एक सीन है जिसमे आमिर खान आयशा झुलका के वर्कशॉप से गाड़ी लेकर भाग जाते हैं और रास्ते में उन्हें पूजा बेदी मिल जाती हैं। उनके दोस्त उन्हें पूजा बेदी के साथ देख उन्हें अन्नदाता मानते हुए कुछ बख्शीश मांग लेते हैं। आमिर खान भी एक रईस आदमी की तरह बर्ताव करते हैं और कुछ पैसे दे देते हैं।

अब आप ये सोच रहे होंगे कि आज मैं क्यों इस फ़िल्म के सीन बता रहा हूँ। दरसअल मैंने दिल्ली के बड़े बड़े बंगले देखे। जिसमे अलग अलग ओहदे पर बैठे हुए मंत्री व अधिकारी रहते हैं। उन मंत्री महोदय का भी बड़ा सा बंगला देखा जिन्होंने पिछले दिनों कहा कि वो भारतीय नौसेना के अधिकारियों को मुम्बई के पॉश इलाके में ज़मीन नहीं देंगे। किसी ने टिप्पणी करी की फिर मंत्रियों को भी वसई विरार जो कि मुम्बई से काफी दूर हैं, वहां जा कर रहें। यह संभव तो नहीं है क्योंकि राज नेताओं को सिर्फ जनता का सेवक होने का मौका मिलना चाहिए। असल में तो वो अपनी ही रोटियाँ सेकते रहते हैं।

दिल्ली के बंगलों को देख कर यही खयाल आया कि इतने बड़े बड़े ये बंगले जनता के सेवकों के लिये क्यों? कई बंगले तो इतने बड़े लगे कि भारत के कई छोटे छोटे गांव के गाँव उनमे रह सकते हैं। यह अलग बात है कि असली भारत के यह नागरिक कभी ऐसे घरों का आंनद नहीं ले पायेंगे।

लेकिन आज सांसद महोदय ने ये साबित कर दिया कि माई बाप संस्कृति भारत से कहीं नहीं जाने वाली। हम और आप उनके लिए घंटों गर्मी में रास्ता देने के लिए खड़े रहें वो अपनी एयरकंडीशनर वाली गाड़ी से फुर्र हो जायेंगे।

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