तुम्हे पता है मेरे पिताजी कौन हैं? फिल्मों में ये सवाल कोई बिगड़ैल औलाद पूछती ही है। जब सामने अफ़सर को पता चलता है तो अगर वो ईमानदार है तो उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता लेकिन अगर बेइमान हो तो झट से पहचान हो जाती है। चोर चोर मौसेरे भाई जो ठहरे।
आप इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति जी की पत्नी सुधा मूर्ती जी को जानते ही होंगे। शायद आपने उनका वो किस्सा कैसे उन्हें एयरपोर्ट पर इकोनॉमी क्लास की यात्री बताकर लाइन में पीछे जाने को कहा गया था। शायद आपने स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर जी का किस्सा भी सुना होगा कैसे एक विवाह समारोह में वो भी कतार में खड़े रहकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के अपने नंबर का इंतज़ार करते रहे। या भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ी राहुल द्रविड़ जो बच्चों के स्कूल में अपने नम्बर का इंतज़ार करते हैं अपने बच्चों के अध्यापक से मिलने के लिये।
आज मुझे ये किस्से याद इसलिये आ रहे हैं क्योंकि अपने आसपास मैं बहुत सी ऐसी घटनाओं के बारे में पढ़ रहा हूँ, देखरहा हूँ जहाँ लोग जिनकी या तो किसी अफ़सर से पहचान है या उनके परिवार से की कोई ऊंचे पद पर कार्यरत है, उन्होंने उसका फ़ायदा उठा कर बाकी लोगों की जान को मुश्किल में डाल दिया।
दरअसल प्रथम दृष्टया वो दोषी दिखते हैं लेकिन ये असल में एक लंबे समय से हमारे समाज में चली आ रही एक और कुरीति ही है जिसमें जो ऊँचे ओहदे वाले माई बाप का रोल निभाते हैं। हम अपने आसपास ऐसा हमेशा से होता देख रहे हैं लेक़िन ये अब इतना नार्मल सा लगता है की अगर कोई वीआईपी स्टीकर लगी गाड़ी जब ग़लत पार्किंग में नहीं खड़ी हो तो आश्चर्य होता है।
जबसे मैंने होश संभाला है मैं ऐसे ही रसूख़ वालों से घिरा रहा हूं। ये सत्ता का नशा और दुरुपयोग बहुत क़रीब से देखा है। और ऐसे भी सत्ता के पीछे भागने वाले देखे हैं जो अपना प्रोमोशन न होने पर डिप्रेशन में चले जाते हैं। किसी भी तरह जोड़ तोड़ करके बड़े पद से रिटायरमेंट लेना है। इसके लिये जो करना पड़े सब करने को तैयार। इन्हें सिर्फ़ एक बात मालूम है – सब हो सकता है अगर आपके पास पैसा है।
अभी कोरोना वायरस के चलते ऐसे कई किस्से सामने आये जहाँ माता पिता स्वयं ही अपने बच्चों की बीमारी छुपा रहे हैं। कोलकाता में राज्य सरकार की एक बडी अफसर का बेटा लंदन से आने के बाद दो दिन पूरा शहर घुमा। इस नवयुवक ने सभी सरकारी आदेशों की अवेल्हना कर सरकारी अस्पताल में रहने को भी मना कर दिया।
अब इसका उल्टा सोचिये। इन अफ़सर के घर काम करने वाली कोई औरत को ये बीमारी होती और वो छुपाती तो उसका क्या हश्र होता? उस कनिका कपूर का क्या करें जो फाइव स्टार होटल में रहीं और सरकार पर ही आरोप लगा दिये। मैं इस बात से सहमत हूँ की कोई भी देश परफ़ेक्ट नहीं होता। लेकिन उसके नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है की अपने साथ वालों को बर्बाद होने से बचायें।