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देश प्रेम और गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस की मेगा सेल

पिछले कुछ सालों से 26 जनवरी और 15 अगस्त हमारे राष्ट्रीय पर्व के साथ साथ खरीदारी करने के बड़े दिन बन गये हैं। चूँकि ग्राहक को छूट बड़ी लुभाती है, पिछले लगभग दस सालों से इन दो दिनों के आगे पीछे महा सेल का ही इंतज़ार रहता है- न कि उन दो दिनों का जो किसी भी राष्ट्र के लिये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

सही मायनों में अमेज़ॉन और फिल्पकार्ट के आने के बाद से इन दिनों की महत्ता और बढ़ गयी है। अगर आप शॉपिंग मॉल की भीड़भाड़ से बचना चाहते हैं तो अपना देश प्रेम आप इस ऑनलाइन सेल के ज़रिये दिखा सकते हैं। अब तो हालत ये है कि बच्चे भी ये जान गये हैं कि दीवाली के अलावा इन दो दिनों में भी जमकर डिस्काउंट मिलता है तो वो भी इसका इंतज़ार करते हैं। हमारे गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस की इससे अच्छी मार्केटिंग क्या हो सकती है।

लेकिन ये भी अच्छा है। कम से कम इन दो दिनों को ही सही हम अपना देश प्रेम तो दिखाते हैं। हाँ ये बात जरूर है कि इससे इस सेल से जुड़े लोगों की अच्छी खासी कमाई हो जाती है। लेकिन देश के नाम पर सब चलता है।

वो लोग भी जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री बताते हैं या जिन्हें हमारे उत्तर पूर्वी राज्यों की राजधानियों के बारे में नहीं पता हो, उन्हें इन सेल के बारे में सब कुछ पता होता है।

अगर गलती से आप कहीं मॉल चले जायें, जैसा कि इस बार मैंने किया, तो आपको बदहवास से लोग घूमते दिखेंगे। जो सेल के पहले दिन चले गये वो एक्सपर्ट बन जाते हैं और अपने जानपहचान वालों को बताते हैं कहाँ क्या अच्छा है। जो देश से बहुत ज़्यादा प्यार करते हैं वो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगहों की तुलनात्मक स्टडी भी कर देते हैं और ट्विटर पर आपको इसका ज्ञान भी मिल जाता है।

इस पूरे प्रकरण में सबसे ज़्यादा परेशान, दुखी, मायूस होते हैं पति। नहीं सेल से उन्हें तो वैसे कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि उनका पैसा ऐसे या वैसे तो निकलेगा ही। लेकिन सामान चुनने और बिलिंग काउन्टर पहुंचने के बीच उनकी मानों आधी ज़िंदगी निकल जाती है। उसपर ट्रायल रूम का नाटक। कई बार मैं और मेरे जैसे कई पति अपनी पत्नी छोड़ दूसरों की बीवियों को निहारते रहते हैं। इसको अन्यथा न लें। जब आप बाहर खड़े हों और इंतजार कर रहे हों तो ये एक मजबूरी होती है। हाँ फिल्मों के जैसे आप इस पर अपनी कोई राय नहीं दे सकते क्योंकि उसके बाद जो होगा उससे आपकी शॉपिंग अधुरी रह जायेगी।

मोबाइल फ़ोन और व्हाट्सएप का इससे अच्छा इस्तेमाल मैंने नहीं देखा। दुकानें अलग अलग फ्लोर पर हैं? ड्रेस पहन कर देखी जाती है और फ़ोटो व्हाट्सएप कर दी जाती है। आप उसे देख टिप्पणी कर सकते हैं। अगर आपकी पत्नी या गर्लफ्रैंड ज़्यादा समय लेती हैं तो आप कहीं सुस्तालें। आपको फ़ोन करके बुला लिया जायेगा।

कल जब मैं ये नज़ारा देख रहा था तो देश प्रेम के दो नज़ारे दिख रहे थे। एक जो 26 जनवरी की सुबह राजपथ पर देखा था और दूसरा जिसका मैं भी एक हिस्सा था। भारत हमको जान से प्यारा है…

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