कैसी ये नगरिया, कैसे हैं ये लोग

आज ट्विटर पर एक बहस चल रही थी। रोज़ जो फालतू की बहस चलती रहती है उससे ये कुछ अलग थी। बहस बहुत ही सभ्य थी क्योंकि इसमें किसी नेता या अभिनेता को उनकी ट्वीट के लिये ट्रोल नहीं किया जा रहा था।

इस बहस की शुरुआत हुई एक वेबसाइट की ट्वीट से। जानेमाने फ़िल्म और रंगमंच के कलाकार गिरीश कर्नाड का आज सुबह निधन हो गया। वेबसाइट ने इसकी हैडलाइन दी \”टाइगर ज़िंदा है फ़िल्म में अभिनय करने वाले गिरीश कर्नाड का निधन\”। बस ट्विटर सबने मिलकर इस वेबसाइट की क्लास ले ली। सभी ने इसका मज़ाक उड़ाया की स्वर्गीय कर्नाड ने काफ़ी सारी अच्छी फिल्में करी हैं, बहुतेरे नाटकों का निर्देशन किया लेकिन उस फिल्म से उनको जोड़ा जा रहा है जिसमें उनका काम कुछ ऐसा नहीं था कि उनकी याद को उसके साथ जोड़ा जाये।

लेकिन इसमें क्या गलत है? आप अगर किसी को उनके पुराने काम का हवाला देंगे और अगर कहें की फ़िल्म स्वामी या मंथन या मालगुडी डेज में काम करने वाले गिरीश कर्नाड का निधन तो सबको थोड़ी अपनी याददाश्त पर ज़ोर देना होगा कि ये किसकी बात हो रही है। पत्रकारिता में आप सूचना दे रहे हैं। सामने वाले तक जो संदेश पहुंचा रहे हैं वो पहुंच जाए। अब अगर टाइगर ज़िंदा है का हवाला दिया गया है तो वो उनकी शायद आखिरी बड़ी हिट फिल्म थी तो इसमें क्या गलत है? एक बहुत बड़े तबके के पास जिन्होंने ये सलमान खान की फ़िल्म देखी होगी, वो गिरीश कर्नाड साहब को सलमान के बॉस वाले क़िरदार को फ़ौरन पहचान गये होंगे।

अब इसमें बड़ी सी भूमिका, वैसे इस नाम की भी उन्होंने फ़िल्म करी थी, बांधने की क्या ज़रूरत है। जिस शख़्स ने उन्हें टाइगर ज़िंदा है के साथ याद किया और जिसने उन्हें मालगुडी डेज से जोड़कर याद किया दोनों में कोई अंतर है क्या? मैं ये निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि गिरीश कर्नाड साहब को अपने दोनों ही काम प्रिय होंगे। नहीं तो वो टाइगर ज़िंदा है जैसी घोर कमर्शियल फ़िल्म नहीं करते।

जैसा ट्विटर पर अक्सर होता है, लोगों ने लाइन लगादी कैसे कुछ नामीगिरामी लोगों को याद किया जायेगा। इन सबके पीछे एक ही कारण है – मेरे हिसाब से ये सही है। लेकिन सब आपके या मेरे हिसाब से ही तो सही नहीं हो सकता। आप राजेश खन्ना को कैसे याद करेंगे? उनकी वो डांस स्टेप के लिये या चिंगारी कोई भड़के या मेरे सपनों की रानी वाले गानों के लिये? अगर मैं उनको अगर तुम न होते के गाने के लिये या आ अब लौट चलें में उनके अभिनय के लिये याद करूं तो क्या ग़लत है? ये सिर्फ़ इसलिये तो गलत नहीं हो सकता क्योंकि ये आपके उनको याद रखने के मापदंडों से अलग है।

गिरीश कर्नाड साहब को उनकी बहुत सारे किरदारों के साथ तो याद रखूँगा लेकिन एक गाना जो उनपर फ़िल्माया गया था वो भी मुझे बहुत प्रिय है। सुभाष घई की मेरी जंग में उनपर और नूतन पर एक गीत फिल्माया था – ज़िन्दगी हर कदम एक नई जंग है। ये गाना उनकी याद में और उस शख्स के लिये जिसने उस स्टोरी की हैडलाइन दी।

https://youtu.be/3qgbp8z0cnc