चलो चलें आज एक ऐसे सफ़र पर
जिसकी मंज़िल न हो हमें पता,
मील का पत्थर हो मैप हमारा,
और आँखें ही नापें रास्ता।
चलो चले आज उन गलियों में,
जहाँ सेल्फी खींचे आंखों से,
और रखें पलकों के फोल्डर में,
बस रहें सामने और छिपे भी हों।
चलो चलें आज उन गलियों में,
जहाँ फिल्मी हो लोकेशन,
दिल कहे पैकअप पर आँखें कहें एक्शन,
बस रहें सामने और खोये हुए भी हों।
चलो चलें आज उन गलियों में,
जहाँ याद नहीं मिले हों कभी,
लेकिन मिलते रहें हों हमेेशा,
बस रहे सामने और अनजाने भी।
चलो चलें आज उन गलियों में,
जहाँ तुम्हारा आँचल छुये तो मुझे,
लेकिन सिरहन हो दो जिस्मों में,
बस रहें सामने और समेटते रहें दामन।
Like this:
Like Loading...