दरिया ने ली है करवट तो, साहिलों को सहने दे

सलमान खान को निजी जिंदगी में भले ही प्यार न मिला हो लेकिन स्क्रीन पर तीनों खान में वो सबसे अच्छे लवर बॉय लगते हैं। ये मेरा जवाब था श्रीमती जी को उस सुबह जब चाय का आनंद लेते हुये उन्होंने पूछ लिया कि तीनों खान में से कौन सबसे अच्छा रोमांटिक हीरो है। आमिर खान और शाहरुख खान ने भी रोमांटिक फिल्में करी हैं और शाहरुख को किंग ऑफ रोमांस भी कहा जाता है। लेकिन मेरे लिये सलमान से अच्छा रोमांटिक खान कोई नहीं।

भोपाल में हम आपके हैं कौन केवल एक सिनेमाघर में लगी थी। फ़िल्म के निर्माता राजश्री ने फ़िल्म को सिर्फ़ डॉल्बी में रिलीज़ किया था। ये टेक्नोलॉजी नई थी और बहुत कम सिनेमा मालिक पैसा खर्च करने को तैयार थे। ध्यान रहे उस समय सिंगल स्क्रीन ही हुआ करते थे।

चूंकि एक ही सिनेमाघर था, तो काफी भीड़ रहती थी। परिवार में सभी को इसे देखने का मन था। सलमान खान और माधुरी दीक्षित साथ में और सूरज बड़जात्या का निर्देशन। फ़िल्म के गाने तो सभी ने सुन रखे थे। चित्रहार में गानों की झलक भी मिल गई थी। ये भी पता था कि नदिया के पार का मॉर्डन एडिशन था।

आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब फ़िल्म देखने का प्रोग्राम बन गया। एडवांस बुकिंग के लिये मैं औऱ बड़ी बहन गये थे। bookmyshow, paytm की पीढ़ी को न इसका अनुभव होगा न इससे जुड़ी खुशी का अनुभव। टिकट मिल गये और बस ऐसे ही घूमते हुये अंदर पहुँच गए। शो बस शुरू ही हुआ था। जब अंधेरे में फ़िल्म का टाइटल शुरू हुआ तो बस नज़रें जम गयीं स्क्रीन पर। सलमान खान और माधुरी दीक्षित पर ब्लैक एंड व्हाइट में उस गाने की बात ही कुछ और थी। हम दोनों ने पूरा गाना देखा और घर वापस क्योंकि दोपहर में शो देखने जो आना था।

उसके पहले मैंने सलमान खान की इक्का दुक्का फिल्में ही देखी होंगी। मैंने प्यार किया और अंदाज़ अपना अपना तो याद है लेकिन इसके अलावा शायद साजन। मैं ठहरा आमिर खान का फैन और भाई वैसे भी कुछ अलग ही तरह की फिल्में करते। लेकिन उस दिन हॉल के अंधेरे में जब सलमान खान ने हम आपके हैं कौन गाना शुरू किया तो दीदी की मानो लॉटरी लग गयी थी।

हम दिल दे चुके सनम और लव दोनों ही फिल्मों में उनका किरदार बहुत बढ़िया था। हम दिल…में उनकी और ऐश्वर्या की जोड़ी बस एक फ़िल्म में आके रह गयी। लेकिन दोनों की जोड़ी कमाल की थी। शायद वैसे जैसे वरुण आलिया या दीपिका रनबीर की जोड़ी है इन दोनों। सलमान की आलिया भट्ट के साथ इंशाल्लाह का इंतज़ार रहेगा क्योंकि बहुत समय बाद वो एक लव स्टोरी में दिखाई देंगे और उसपर संजय लीला भन्साली का निर्देशन। देखना ये है कि भंसाली अपने चहेते अरिजीत सिंह की जगह किस को सलमान खान की आवाज़ बनायेंगे।

पिछले कुछ सालों से सलमान खान की फिल्में नियमित देखी जा रही हैं। बजरंगी भाईजान हो या ट्यूबलाइट या बुधवार को रिलीज़ हुई भारत। फ़िल्म में कई खामियाँ हैं लेकिन सलमान और कैटरीना की जोड़ी अच्छी लगती है। सलमान खान की तरह कैटरीना कैफ को भी हिंदी बोलने में खासी परेशानी होती है और ये इस फ़िल्म में साफ़ पता चलता है। निर्देशक स्क्रिप्ट में जो इमोशनल कनेक्ट होना चाहिए था उस पर ज़्यादा ध्यान न देकर सलमान खान को हीरो बनाने में ध्यान दे बैठे। जैसी सलमान खान की फिल्में होती हैं, भारत एक साफ सुथरी फ़िल्म है।

पद्मावत भव्य लेकिन एक जिस्म जिसमें जान नहीं

पिछले साल इन्हीं दिनों करणी सेना और उनके सदस्यों ने पद्मावती को लेकर हंगामा शुरू किया था। इतिहास में या रानी पद्मावती के बारे में बहुत ज़्यादा तब।भी नहीं मालूम था। बस इतना जानते थे कि ख़िलजी उनको देखना चाहते थे और पद्मावती ने अपने आप को आग के हवाले कर दिया था।

दिसंबर 2017 से जनवरी 2018 के बीच पद्मावती पद्मावत हो गयी और दीपिका पादुकोण की कमर को स्पेशल इफ़ेक्ट के साथ ढांक दिया गया। मेरा इतिहास की इस घटना के बारे में ज्ञान में इतने दिनों में कोई ज़्यादा इज़ाफ़ा नहीं हुआ। यूं कहें कि किया नहीं। बहरहाल, ये पोस्ट फ़िल्म के बारे में हैं तो उस पर वापस आते हैं।

फ़िल्म ख़िलजी से शुरू होती है और पद्मावती और रतन सिंह बाद में आते हैं। संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों की भव्यता के लिए जाने जाते हैं और पद्मावत उसी श्रृंखला की एक और कड़ी है। शायद यही उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी भी है। कहीं न कहीं क़िरदार भव्यता के चक्कर में पीछे छूट जाते हैं। ये फ़िल्म के लेखन की सबसे बड़ी विफलता कही जा सकती है।

इस फ़िल्म में भंसाली संगीत में भी कहीं चूक ही गये। घूमर देखने में अच्छा होने के कारण याद रह जाता है लेकिन बाकी गाने याद भी नहीं रह पाते। ये वही भंसाली हैं जिनकी ख़ामोशी और हम दिल दे चुके सनम के गाने आज भी पसंद किये जाते हैं।

बात करें अदाकारी की तो रनबीर सिंह सबको याद रह जाते हैं। लेकिन सही कहें तो इस किरदार में जिस पागलपन की ज़रूरत थी वैसे वो असल ज़िंदगी में हैं। दीपिका को रानी पद्मावती के जैसा सुंदर होना था लेकिन वो वैसी अलौकिक सुंदरता की धनी नहीं दिखती हैं। शाहिद कपूर रतन सिंह के रूप में थोड़े से छोटे लगते हैं।
अगर कोई मुझसे इसके लिए नाम सुझाने के लिए कहता तो मेरे लिए हृतिक रोशन होते रतन सिंह, रणबीर कपूर होते ख़िलजी और ऐश्वर्या राय बच्चन होतीं पद्मावती।