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रविवारीय: बालों की सफेदी से फ़ीका कब हुआ है रोमांस

अभी कल किसी के परिवार के एक समारोह का वीडियो देखने को मिला। सब गाना बजाना चल रहा था। लेक़िन जो बात मुझे बड़ी अजीब सी लगी वो थी समारोह में सम्मिलित सभी लोगों के बाल देखकर।सभी के बाल रंगरोगन किये हुये औऱ एकदम चमकते काले बाल। शायद इतने तो तब भी न रहे हों जब इन बालों का रंग काला ही रहा होगा।

अब आप कह सकते हैं की ज़रुरी नहीं सब उम्र के उस दौर में हों जहाँ बालों को रंगरोगन की ज़रूरत हो। ये भी तो मुमकिन है की बालों का रंग वाकई में काला हो। जी बिल्कुल हो सकता है। लेक़िन उनमें से कई लोगों को जानते हैं औऱ शायद उनकी उम्र भी। ख़ैर बालों को रंगना कोई नई बात तो नहीं है। औऱ है भी बहुत ही व्यक्तिगत मामला।

जब हम छोटे थे तो कई बार टेलकम पाउडर को पेंट ब्रश से बालों पर लगाकर देखा करते थे। उस समय वो काले सफ़ेद बाल देखकर बड़ा अच्छा लगता। वर्ष 2003-4 की बात है। मेरे उन दिनों के मित्र मुम्बई किसी काम से आये हुये थे। एक दिन उनके साथ पहुँच गये सैलून पर। हमारा काम तो जल्दी समाप्त हो गया। लेक़िन ये क्या – महाशय तो बाल रंगवा रहे थे। इतने वर्षों में मुझे ये पता भी नहीं चला की वो ऐसा करवाते रहे हैं।

हमारे एक औऱ परिचित हैं। उनके बाल भी 50-55 की उम्र में बढ़िया काले। पहले कुछ सफ़ेदी थी लेक़िन शायद उन्होंने उसे छुपाना बेहतर समझा। एक दिन बिना बताये जब उनके घर पहुँचे तो देखा श्रीमान कालिख़ लगाये धूप में बाल सूखा रहे हैं। हमें सामने देखकर पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेक़िन उसके बाद ऐसे बात करने लगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

आजकल के नायक, नायिकाओं को देख लीजिये। सब हिजाब लगा लगा कर काले बाल लिये घूमते रहते हैं। मुझे अभी तक ये समझ नहीं आता की ऐसा करने की क्या ज़रूरत है। आपके शरीर में समय के साथ बदलाव आते हैं तो बजाये इसके की उन बदलावों को स्वीकार करें लोग वक़्त को पीछे मोड़ने में लगे रहते हैं।

सर्दी तो अब लगभग जा ही चुकी है औऱ अब बसंत आ गया है औऱ सब बंजर ज़मीन पर दिख रही हरियाली अब कुछ दिनों में गायब होने वाली है। घर के सामने जो पहाड़ी है वो तपती धूप में सब कुछ गवांने के बाद इन दिनों हरी भरी हो गयी है। कुछ दिनों बाद हरियाली गायब हो जायेगी। अब ये बालों की सफ़ेदी औऱ पहाड़ों की हरियाली – कहीं भटके तो नहीं?

पिछले वर्ष कोरोना के कारण अस्पताल में समय बिताने के बाद जब घर वापसी हुई तो शक्ल में कुछ बहुत ज़्यादा बदलाव नहीं आया था। हाँ लगभग महीने भर की दाढ़ी थी औऱ सर पर कम होते बाल। जैसा इन दिनों चलन है, एक दिन पारिवारिक वीडियो कॉल हुआ। सेहत की बातें करते करते किसी ने बताया की मेरे सिर पर बाल कुछ ज़्यादा कम दिख रहे हैं। उस समय तो सब हंसी मजाक में टल गया लेक़िन मुझे भी पिछले कुछ दिनों से मैदान साफ़ होता हुआ दिख रहा था। जिस गति से ये सर से अलविदा कह रहे थे, लगता था शान फ़िल्म के शाकाल बन ही जायेंगे।

लेक़िन जब बाक़ी कोविड मरीजों से यही सुनने को मिला तो थोड़ी राहत मिली। वैसे भी जब बाल गायब होना शुरू होते हैं तो ये कहा जाता है की ये इस बात को बताता है की आपका बैंक बैलेंस बढ़ रहा है। अगर ये उम्र के हिसाब से हो रहा है तो ये सही भी होता है क्योंकि उस समय आप एक बड़े पद पर पहुँच चुके रहते हैं औऱ आपकी आय में उसी हिसाब से बढ़ोतरी भी होती है।

वैसे हर वो आदमी जिसके सिर से बाल या तो गायब हो चुके रहते हैं या लगभग नहीं के बराबर होते हैं वो ऐसा नहीं सोचते। पिछले दिनों एक सज्जन से मिलना हुआ। जब उनको देखा तो थोड़ा अजीब सा लगा। दरअसल उनकी जो तस्वीरें हैं वो बिना बालों की हैं लेक़िन सामने वो विग लगाये बैठे थे। ये माजरा थोड़ी देर बाद समझ आया।

फ़िल्म जाने भी दो यारों में इससे जुड़ा बड़ा ही अच्छा सीन है।

ऐसे ही एक औऱ सज्जन से मुलाक़ात हुई। उनको देखकर भी लगा मामला कुछ गड़बड़ है। कुछ देर में पता चला की महाशय सिर के बालों के साथ अपनी मूछों के बालों का भी रंगरोगन करते हैं। सिर के बाल से कुछ समय बाद रंग निकलना शुरू हो जाता है। लेक़िन उनकी मूछों के बाल एकदम बढ़िया काले। ये भी हो सकता है वो नत्थूलाल से प्रेरित हों औऱ मूछों का ज़्यादा ख़्याल रखते हों।

लेक़िन कुछ लोग होते हैं जो इस प्रकृति के नियम से कोई छेड़छाड़ नहीं करते। एक परिचित के काले सफ़ेद बाल वर्षों से देख रहे हैं औऱ वो उनके ऊपर बहुत जँचते भी हैं। कई ऐसे नौजवानों को भी जानते हैं जिनके सर से बाल कम उम्र में ही गायब हो गये औऱ उन्होंने उसको छिपाया नहीं। आजकल तो कई लोग इसको एक फ़ैशन के रूप में भी देखते हैं। जैसे दाढ़ी रखने का इन दिनों ज़बरदस्त चलन है।

बालों को रंगने या तकनीकी मदद से उनको पुराने जैसा बनाये रखने के बारे में आपकी क्या राय है?

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