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सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं

यात्राओं का अपना अलग ही मज़ा है। हर यात्रा का अपना एक अनुभव होता है। अगर वो अच्छा तो भी यात्रा यादगार बन जाती है और अगर बुरा हो तो अगली यात्रा के लिये एक सीख बन जाती है।

मेरी ट्रैन की ज़्यादातर यात्रा में बहुत कुछ घटित नहीं होता क्योंकि मैं अक्सर ऊपर वाली बर्थ लेकर जल्दी ही अपने पढ़ने का कोई काम हो तो वो करता हूँ नहीं तो सोने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। काफ़ी सारी ट्रैन की यात्रा भी रात भर की होती हैं तो बाहर देखने का सवाल ही नहीं होता। कभी कुशल अग्रवाल जैसे सहयात्री मिल जाते हैं जो आपको जीवन का एक अलग अंदाज दिखा जाते हैं।

मैंने अक्सर ट्रैन में बर्थ बदलने की बातचीत होते हुये देखा सुना है। मेरे पास ऐसे निवेदन कम ही आते थे क्योंकि अपनी तो ऊपर वाली बर्थ ही रहती थी और अक़्सर ये मामले नीचे की बर्थ को लेकर रहते थे। कई बार तो उल्टा ही हुआ। भारतीय रेल की बदौलत कभी नीचे की बर्थ मिल भी गयी तो सहयात्री से निवेदन कर ऊपर की बर्थ माँग लेता। बहुत कम ऐसा हुआ है की ऊपर की बर्थ के लिये किसी ने मना किया हो।

ज़्यादातर माता-पिता के साथ भी ऐसा कोई वाक्य हुआ जब उन्हें ऊपर की बर्थ मिल गई हो तो बाकी यात्रियों ने उन्हें नीचे की बर्थ देदी। लेकिन अगर साथ में ज़्यादा आयु वाले यात्री हों तो ऐसा होना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन उनके साथ ऐसा भी हुआ है।

कल ट्विटर पर एक चर्चा चल रही थी जिसमें एक महिला यात्री जो की गर्भवती हैं, उनको उनके साथ सफर कर रहे एक संभ्रांत घर के युवक ने नीचे की बर्थ देने से मना कर दिया। उस दिखने वाले पढ़े लिखे युवक के इस व्यवहार से वो काफी दुखी भी हुईं। लेकिन उनके एक और युवा सहयात्री जो शायद किसी छोटे शहर से थे, उन्होंने खुशी खुशी अपनी नीचे की बर्थ उन्हें दे दी। ये महिला यात्री जो भारतीय वन सेवा की अधिकारी हैं, उन्हें दोनों के व्यवहार से यही लगा की हमारी सारी तालीम बेकार है अगर हम जिसे ज़रूरत हो उसकी मदद न करें।

उनके इस वाकये पर एक और ट्विटर की यूज़र ने 1990 की अपनी यात्रा के बारे में बताया की कैसे दो अजनबी पुरुष यात्रियों ने अपनी बर्थ उन्हें देकर खुद रात ट्रैन की फ़र्श पर बिताई थी। दोनों आगे चलकर गुजरात के मुख्यमंत्री बने और उनमें से एक इस समय भारत के प्रधानमंत्री हैं। उनकी यात्रा के बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

http://www.thehindu.com/opinion/open-page/a-train-journey-and-two-names-to-remember/article6070562.ece?homepage=true

क्या आपकी भी ऐसी ही कोई यादगार यात्रा रही है जब किसी अनजाने ने आपकी या आपने किसी अनजाने की मदद करी?

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