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देखें किसको कौन मिलता है

सलमान खान की भारत में पहले प्रियंका चोपड़ा जोनास को कुमुद का रोल अदा करना था। लेकिन निक जोनास से शादी करने के निर्णय के चलते उन्होंने फिल्म को छोड़ दिया। सलमान खान शायद इससे ख़ासे नाराज़ भी हैं।

जब भारत देख रहा था तो रह रह कर बस कैटरीना कैफ की जगह कुमुद के रूप में अगर प्रियंका चोपड़ा होतीं तो क्या फ़िल्म कुछ और होती, यही ख़याल आता। ये पता नहीं लेकिन कुमुद का क़िरदार प्रियंका चोपड़ा को ध्यान में रख कर लिखा गया था। इसलिये शायद बार बार प्रियंका ही दिखाई दे रही थी। लेकिन कुछ एक सीन देख कर लगा की प्रियंका चोपड़ा ज़्यादा अच्छा कर सकती थीं। प्रियंका ने बर्फी में बहुत अच्छा काम किया था शायद इसके चलते उनका पलड़ा भारी है।

ऐसे ही फ़िल्म थी फितूर। अभिषेक कपूर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में बेग़म का किरदार पहले रेखा निभाने वाली थीं। लेकिन एक हफ्ते की शूटिंग करने के बाद उन्होंने इसको करने से मना कर दिया और उनकी जगह तब्बू ने ले ली। मज़ेदार बात तो ये है कि अभिषेक कपूर ने काफ़ी पहले फ़िल्म का यही रोल तब्बू को ऑफर किया था। लेकिन उस समय बात कुछ बनी नहीं और अभिषेक ने भी दूसरी फ़िल्म बनानी शुरू कर दी थी। मैंने ये फ़िल्म पूरी तो नहीं देखी लेक़िन जितनी थोड़ी बहुत देखी उसमें मुझे तब्बू की जगह रेखा ही नज़र आईं। शायद डायरेक्टर के दिलोदिमाग पर रेखा के किरदार ने ऐसी छाप छोड़ी थी कि सिर्फ़ जिस्मानी तौर पर तब्बू थीं लेकिन ओढ़ने पहनने से लेकर हाव भाव सब रेखा।

असल जिंदगी में अगर हमें किसी के असली क़िरदार की पहचान हो जाये तो उनका सभी व्यवहार हम उसी दृष्टि से देखते हैं। जैसे अगर कोई आपका विश्वास तोड़ दे तो फ़िर से उनपर विश्वास करना मुश्किल होता है। मेरी तरह आप भी ऐसे बहुत से लोगों से मिले होंगे जिनका असली रूप उस समय सामने आ जाता जब आपको उम्मीद ही नहीं होती।

जैसे प्रेम चोपड़ा, रंजीत, शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर से आप एक विलेन वाले काम की ही उम्मीद करते हैं। फ़िल्म दिलवाले में ऐन इंटरवल के पहले काजोल का असली चेहरा सामने आता है। शाहरुख खान के लिये ये विश्वास करना मुश्किल होता है। दोनों सालों तक इस अविश्वास के चलते अलग रहते हैं लेकिन फ़िल्म है असल जिंदगी तो नहीं। अंत में सब वापस साथ में आ ही जाते हैं।

असल ज़िन्दगी में कोई है जो फिर से विश्वास जीतने का प्रयास कर रहा है। लेकिन पुराने अनुभव ऐसा होने से रोक रहे हैं। क्या उनके प्रयास की जीत होगी या मेरे डर की – ये समय के साथ पता चलेगा।

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